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Gall Bladder Stone Treatment: गॉल ब्लैडर स्टोन आपकी अनहेल्दी आदतों का है नतीजा, आयुर्वेदिक नुस्खों से पाएं आराम

घरेलू उपायों और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से पथरी को रोकना और पित्त को हल्का रखना संभव है. इसमें धन्वन्तरि गुग्गुल, भृंगराज का रस, कुल्थी का सूप, पित्तपापड़ा, गिलोय और वरुणादि क्वाथ जैसी जड़ी-बूटियां मदद करती हैं.

Gall Bladder Stone Treatment: गॉल ब्लैडर स्टोन आपकी अनहेल्दी आदतों का है नतीजा, आयुर्वेदिक नुस्खों से पाएं आराम

Gall Bladder Stone Treatment in Ayurveda: आजकल पित्त की पथरी (गॉल ब्लैडर स्टोन) एक आम समस्या बन गई है, खासकर उन लोगों में जो ज्यादा देर तक बैठकर काम करते हैं और अनहेल्दी लाइफस्टाइल जीते हैं. आयुर्वेद की मानें तो पित्ताशय में पथरी पित्त-कफ के असंतुलन और मेद धातु की रुकावट के कारण बनती है. जब शरीर की अग्नि कमजोर हो जाती है और पित्त गाढ़ा होने लगता है, तो धीरे-धीरे पथरी बनने लगती है. 

मुख्य कारणों में तली-भुनी चीजों का सेवन, बार-बार खाना, ज्यादा मसाले, लाल मिर्च, सिरका, रात को भारी भोजन, कम पानी पीना, फास्टिंग के बाद भारी भोजन करना, चिंता-तनाव और लंबे समय तक बैठे रहना शामिल हैं. कुछ महिलाओं में हार्मोन बदलाव यानी एक्स्ट्रा एस्ट्रोजन भी गॉल ब्लैडर स्टोन का खतरा बढ़ाता है.

घरेलू उपायों और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां है लाभकारी

शुरुआत में इसके संकेत हल्के होते हैं, इसलिए समय रहते पहचानना जरूरी है. घरेलू उपायों और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से पथरी को रोकना और पित्त को हल्का रखना संभव है. इसमें धन्वन्तरि गुग्गुल, भृंगराज का रस, कुल्थी का सूप, पित्तपापड़ा, गिलोय और वरुणादि क्वाथ जैसी जड़ी-बूटियां मदद करती हैं. रोज सुबह गुनगुने पानी में नींबू, काला जीरा और शहद लेना, अदरक-पुदीना-तुलसी की चाय पीना और रात को त्रिफला या सौंफ-मिश्री-धनिया का सेवन करना फायदेमंद है.

छोटी पथरी को खत्म करने में है लाभदायक

इन उपायों से छोटी पथरी घुल सकती है, बाइल फ्लो सुधरता है, उल्टी, गैस और भूख नहीं लगने जैसी समस्याएं कम होती हैं और दोबारा पथरी बनने का खतरा घटता है. इसके साथ ही कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं. दर्द होने पर खुद से पेनकिलर न लें, नींबू या एप्पल साइडर विनेगर ज्यादा न लें. कड़क चाय-कॉफी और लाल मिर्च के सेवन से भी बचें.

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आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों मानते हैं कि पित्त की पथरी का सबसे बड़ा कारण खराब जीवनशैली है. सही भोजन, पर्याप्त पानी, हल्की-फुल्की एक्सरसाइज और मानसिक शांति बहुत आवश्यक हैं. ये पित्त को संतुलित रखते हैं और पथरी बनने से रोकते हैं.

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