Anant Chaturdashi 2024: इस दिन रखा जाएगा अनंत चतुर्दशी का व्रत, जानिए सही तिथि, पूजा विधि से शुभ मुहूर्त तक

Anant Chaturdashi 2024 Date: अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर विधि विधान से भगवान श्रीहरि की पूजा करने से 14 वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है.

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Anant Chaturdashi 2024 Kab Hai: अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इसे 'अनंत चौदस' भी कहते हैं. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) का व्रत रखकर विधि विधान से भगवान श्रीहरि (Lord Vishnu) की पूजा करने से 14 वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव ने अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखा था, जिसके प्रताप से उन्होंने अपना खोया हुआ राजपाठ प्राप्त किया था.

बता दें कि गणेश चतुर्थी के 10वें दिन यानि अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति जी का विसर्जन होता है. आइए जानते हैं इस 2024 में कब रखा जाएगा अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi Date 2024) का व्रत. साथ आप पूजा विधि और व्रत कथा भी यहां जान सकते हैं.

अनंत चतुर्दशी की तिथि (Anant Chaturdashi Date 2024)

अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद माह (Bhadrapada month) के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) की चतुर्दशी तिथि (chaturdashi date) को रखा जाता है. इस साल चतुर्दशी का प्रारंभ 16 सितंबर को दोपहर 3:10 बजे पर हो रहा है जो 17 सितंबर की सुबह 11:44 बजे समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत मंगलवार, 17 सितंबर 2024 को रखा जाएगा और इसी दिन बप्पा की विदाई भी होगी. 

कब है अनंत चतुर्दशी 2024 (Anant Chaturdashi 2024 Shubh Muhurat )

अनंत चतुर्दशी तिथि: मंगलवार, 17 सितंबर 2024

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: सोमवार, 16 सितंबर 2024 की दोपहर 3:10 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त: मंगलवार, 17 सितंबर 2024 की सुबह 11:44 बजे

अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त: 17 सितंबर की सुबह 10:43 बजे से 11:15 बजे तक.

अनंत चतुर्दशी पूजा विधि (Anant Chaturdashi 2024 Puja Vidhi)

1. अनंत चतुर्दशी के मौके पर सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें.

2. अब पूजा स्थल को साफ करें.

3. इसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें.

4. अब पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.

5. इसके बाद भगवान विष्णु जी को अक्षत, फूल, इत्र, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें.

6. अब भगवान विष्णु की आरती करें.

7. इसके बाद भगवान विष्णु जी की मंत्रो का जाप जरूर करें.

8. अंत में भगवान विष्णु को अनंत सूत्र अर्पित करें. 

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अनंत चतुर्दशी व्रत कथा  (Anant Chaturdashi Katha)

1. पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार,  प्राचीन काल में सुमंत नाम का एक ब्राह्मण अपनी बेटियों दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था. सुशीला के विवाह योग्य होने पर उसकी मां का निधन हो गया. ब्राह्मण सुमंत ने अपनी पुत्री सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया. कौंडिन्य ऋषि सुशीला को लेकर अपने आश्रम जा रहे थे, लेकिन रात हो जाने के चलते वो रास्ते में ही रुक गए.

2. उस जगह कुछ महिलाएं अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं. सुशीला ने व्रत की महिमा का ज्ञान प्राप्त किया और 14 गांठों वाला अनंत धागा धारण कर लिया. ऋषि कौंडिन्य को यह अच्छा नहीं लगा और उन्होंने धागे को तोड़कर आग में डाल दिया.

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3. अनंत सूत्र के इस अपमान के कारण कौंडिन्य ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वो दुखी रहने लगे. उन्हें लगा कि ऐसा अनंत सूत्र के अपमान के कारण ही हुआ है और वो उस अनंत सूत्र के लिए वन में भटकने लगे. एक दिन वे भूख-प्यास से जमीन पर गिर पड़े, तब भगवान अनंत प्रकट हुए.

4. प्रभु ने कहा कि कौंडिन्य तुमने अपनी भूल का पश्चाताप कर लिया है. अब घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और 14 साल तक इस व्रत को करना. कौंडिन्य ऋषि ने वैसा ही किया. व्रत के प्रभाव से कौंडिन्य ऋषि का जीवन सुखमय हो गया और उनकी संपत्ति भी वापस आ गई.

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अनंत चतुर्दशी का महत्त्व ( Anant Chaturdashi Significance)

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है. अनंत चतुर्दशी पर लोग अनंत सूत्र बांधते हैं, जिसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है. यह सूत्र 14 गांठों वाला होता है और इसे बाएं हाथ में धारण किया जाता है. अनंत सूत्र को बांधने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है और सभी कठिनाइयों का नाश होता है.

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