
खूबसूरत झील के चारों ओर भारत का 'दिल' बसता है. देश के मध्यभाग में स्थित इस जगह का नाम सागर है. इसका अर्थ समुद्र या झील है. सागर मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है. इसका इतिहास 1660 से मिलता है, जब निहालशाह के वंशज ऊदनशाह ने एक तालाब के किनारे एक छोटा सा किला बनवाकर उसके पास परकोटा नाम का गांव बसाया था. वही गांव आज सागर के नाम से पहचाना जाता है. इस जिले में प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है,जो अब डॉ. हरिसिह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. राज्य की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत रजाखेड़ी भी सागर (Sagar) में ही है.
कृषि और परिवहन का केंद्र
सागर प्रमुख सड़क और कृषि व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां तेल और आटा पिसाई, घी प्रोसेसिंग, हथकरघा कपास बुनाई, बीड़ी निर्माण और रेलवे इंजीनियरिंग का उद्योग है. सेना की छावनी और भाग्योदय अस्पताल के नाम पर भी शहर को जाना जाता है. इस अस्पताल का नाम जैनों के प्रसिद्ध संत श्री विद्यासागर महाराज के नाम पर है. जिले में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज और फारेंसिक साइंस लेबोरेट्री भी है.
चिरौंजी की बर्फी है सागर की पहचान
बुंदेलखंड के प्रसिद्ध व्यंजन के रूप में पहचाने जाने वाली चिरौंजी की बर्फी जिले की सरकारी बेवसाइट में भी जगह पा चुकी है.तीन बत्ती स्थित चौधरी मिष्ठान भंडार के संस्थापक चौधरी जमनाप्रसाद तो अब नहीं रहे, लेकिन उनके बेटे हेमचंद्र अपने बेटों-पोतों के साथ इस विरासत को संभाले हुए हैं.
बीड़ी-अगरबत्ती और खेती से जुड़ी ज्यादातर आबादी
सागर में वैसे तो कोई बड़ा उद्योग नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग खेती और मजदूरी करते हैं. शहर में बीड़ी और अगरबत्ती बनाने का काम होता है. कुछ छुटपुट कारखानों पर यहां की औद्योगिक गतिविधियां टिकी हैं. करीब एक दशक पहले बीना तहसील के आगासौद गांव में ओमान सरकार के सहयोग से विशाल तेल रिफायनरी स्थापित होने का ऐलान किया गया था लेकिन अब तक यह विशाल परियोजना साकार नहीं हो पाई है.
सोनार नदी से सागर को मिलता है पानी
सागर मैदानी इलाका है. इस जिले की पानी की आपूर्ति सोनार नदी से होती है.
यहां गुप्त काल के कुछ शिलालेख भी मिले हैं. जिले की ज्यादातर आबादी 75% अनुसूचित जाति, जनजाति है. यहां आदिवासियों की एक जाति राज्गौद बसती है.
सागर से जुड़े फैक्ट्स
- तहसील- 13
- विधानसभा- 8
- मुख्य फसल- गेहूं
- विकासखंड- 11
- ग्राम पंचायत -9
- गांव- 368