
मध्य प्रदेश में कुंदा नदी के किनारे बसा खरगोन अपने रूई और मिर्च की पैदावार के लिए जाना जाता है. साल 2020 के स्वच्छ सर्वेक्षण में इसने देश के 10वें सबसे स्वच्छ शहर के रूप में पहचान बनाई थी. इसके अलावा यहां मौजूद नवग्रहों का मंदिर भी देशभर में चर्चित है, जिसके चलते इसे 'नवग्रहों की नगरी' भी कहा जाता है. यहां मौजूद पौराणिक इमारतें एवं कलाकृतियां इस शहर की कहानी बयां करती हैं.
इतिहास में कई राज्यों का हिस्सा रहा है खरगोन
खरगोन मध्य भारत के निमाड़ क्षेत्र में पड़ता है. इसका नाम कैसे पड़ा इसकी कई कथाएं है. लेकिन कहा जाता है कि इस क्षेत्र में नीम के पेड़ों की बहुतायत की वजह से इसका नाम निमाड़ पड़ गया. इस क्षेत्र को समय समय पर माहेश्वर के हैहय, मालवा के परमार, असीरगढ़ के अहीर, मुगलों और मराठों ने अपने राज्य का हिस्सा बनाया. 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य बनने के बाद यह जिला अस्तित्व में आया और नाम दिया गया पश्चिम निमाड़. लेकिन बाद में प्रशासनिक कारणों से 25 मई 1988 को इसे खरगोन और बड़वानी में बांट दिया गया.
पर्यटन स्थल और मुख्य आकर्षण

पर्यटकों के लिए खरगोन बहुत ही अच्छी जगह कही जा सकती है. महेश्वर का किला, पेशवा बाजीराव की समाधि, राजवाड़ा पैलेस, मंडलेश्वर जैसे अनेकों पर्यटन स्थल इस जिले में मौजूद हैं. यह जगहें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर वहां के स्थानीय लोगों की आय का स्रोत भी बनती हैं.
औद्योगिक विकास एवं संस्कृति
वैसे तो यह शहर अपने कपास और मिर्च के लिए चर्चित है, जिनकी खेती यहां बड़े पैमाने पर की जाती है. इस वजह से इसे कपास का कटोरा के नाम से भी पहचाना जाता है. इसके अलावा यहां सोयाबीन की खेती भी की जाती है. यहां की आय का एक मुख्य हिस्सा पर्यटन भी है. नवग्रह मंदिर, महेश्वर, मंडलेश्वर,रावेरखेड़ी सहित अन्य घूमने वाली और ऐतिहासिक महत्व रखने वाली जगहें पर्यटकों को खूब आकर्षित करती हैं. संस्कृति की बात करें तो यहां मुख्य रूप से निमाड़ी भाषा बोली जाती है. इसके अलावा यहां का लोककला काठी नृत्य भी काफी चर्चित है. यहां लगने वाला नवग्रह मेला और निमाड़ उत्सव मेला भी बहुत लोकप्रिय है.
खरगोन एक नजर में
- जिला मुख्यालय -खरगोन
- क्षेत्रफल -8,030वर्ग किमी
- जनसंख्या - 18,72,413
- जनसंख्या घनत्व -233/वर्ग किमी
- लिंगानुपात - 947/1000
- साक्षरता -62.7%
- तहसील -8
- संभाग -इंदौर
- विधानसभा क्षेत्र -6
- लोकसभा क्षेत्र-1