छत्तीसगढ़ का सूरजपुर जिला विशाल कोयला और यूरेनियम भंडार के लिए जाना जाता है. साथ ही ये धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है. जिले में कई ऐतिहासिक महत्व के मंदिर भी हैं. इनमें मां कुदरगढ़ देवी, दुर्गा मंदिर, महामाया मंदिर, गायत्री मंदिर शामिल हैं. यहां देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. सूरजपुर को जिले का दर्जा साल 2012 में मिला था. इस जिले को पूर्व में ‘दंदबुल्ला' कहा जाता था फिर इसे ‘सूर्यपुर' कहा गया. लेकिन बाद में इसे सूरजपुर नाम दिया गया.
कोयला और यूरेनियम मिलता है यहां
रिहन्द नदी के किनारे बसा हुआ सूरजपुर प्रदेश की राजधानी रायपुर से करीब 340 किलोमीटर दूर है. अर्थव्यवस्था को लेकर भी ये जिला अपना अहम योगदान देता है. यहां कोयले और यूरेनियम के भंडार हैं. यहां स्थित विश्रामपुर, रामकेला और प्रतापपुर जिले के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं. जबकि सूरजपुर, सारासोर और प्रतापपुर मुख्य यूरेनियम क्षेत्र हैं. इसके अलावा यहां रेशम, रबड़ के आइटम, चमड़े से बनी वस्तुएं, लोहे की मशीनरी आदि के बड़े-बड़े कारखाने भी हैं.
बड़े स्तर पर मक्का, धान की पैदावार
कृषि की बात करें तो जिले में मक्का, चावल, गन्ना, गेहूं, मूंगफली, दाल, चना, मटर, सरसों, मसूर आदि की बड़े स्तर पर पैदावार की जाती है. इसके अलावा शिक्षा के नजरिए से भी ये जिला काफी बेहतर है. यहां पशु चिकित्सा कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज, शासकीय आई.टी.आई जैसे संस्थान हैं. इसके अलावा स्कूली स्तर की पढ़ाई के लिए यहां नवोदय विद्यालय से लेकर सरस्वती शिशु मन्दिर तक कई स्कूल हैं.
ये वाटरफॉल हैं आकर्षण का केंद्र
सूरजपुर में दो मशहूर वाटरफॉल भी हैं, जहां दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं. जिन्हें कुमेली वाटरफॉल और रकस गंडा वाटरफॉल के नाम से जाना जाता है. कुमेली वाटरफॉल की बात करें ये करीब 70 फीट की ऊंचाई से गिरता है, जिसकी खूबसूरती का लुफ़्त लेने के लिए विभिन्न राज्यों से सैलानी पहुंचते हैं. रकस गंडा वाटरफॉल की बात करें तो यहां नदी का पानी ऊंचाई से गिरकर एक कुण्ड में समाता है. इस कुण्ड से 100 मीटर लंबी सुरंग निकलती है. जहां अनोखा प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलता है.
एक नजर में जिला सूरजपुर
- क्षेत्र: 2786.76 वर्ग किमी
- विकासखंड: 6
- गांव: 547
- जनसंख्या: 789043
- लिंगानुपात: 980
- साक्षरता दर: 60.95%
- नगर पालिका परिषद: 1
- विधानसभ क्षेत्रः 3