जबलपुर में समर्थन मूल्य पर मूंग-उड़द बेचने में किसान नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

जबलपुर के नजदीकी गांव हिनौता पिपरिया के किसान राजकुमार पटेल ने एनडीटीवी को बताया कि पिछले 2 वर्षों से अपनी फसल खुले बाजार में ही बेच रहे हैं.

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अधिकारियों को उम्मीद पूरा हो जाएगा टारगेट

जबलपुर: इस साल उड़द और मूंग की 25 हजार मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य जबलपुर जिले में रखा गया है. लेकिन 21 जुलाई तक 15 हजार मीट्रिक टन खरीदी ही हो पाई है. बता दें कि बीते साल इस सीजन में 20 हजार मीट्रिक टन मूंग और उड़द की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई थी.

व्यापारी दे रहे अच्छे दाम
इस साल समर्थन मूल्य पर फसल बेचने में किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं. तुअर दाल के बढ़ते दाम भी इसकी एक वजह है. दूसरी वजह यह भी है कि व्यापारी दलहन के अच्छे दाम दे रहे हैं. वहीं, स्लाट बुक करने में लगने वाली 50 रुपये की फीस और सर्वेयर को 250 रुपये प्रति क्विंटल देना किसानों को अखरता है. यही कारण है कि अब तक केवल 15 हजार मीट्रिक टन खरीदी ही हो पाई है.

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जबलपुर के नजदीकी गांव हिनौता पिपरिया के किसान राजकुमार पटेल ने एनडीटीवी को बताया कि पिछले 2 वर्षों से अपनी फसल खुले बाजार में ही बेच रहे हैं. उसका फायदा यह है कि दलाल हमारी फसल के दाम तुरंत दिला देता है. हाथ में नगद पैसा आने से हम अपनी खेती का सामान और अन्य जरुरी चीजें तुरंत खरीद सकते हैं.

बजरंग साहू बताते है कि सरकारी खरीद केंद्रों में सब काम अभी भी सरकारी ढर्रे पर ही चल रहा है और जब सरकार खरीद के ज्यादा दाम देती है जो बाजार भाव से ज्यादा होता है तो हम अपनी फसल इन केंद्रों पर लाते हैं. नहीं तो, हमारे लिए खुले बाजार में माल बेचना ज्यादा फायदेमंद है.

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किसान कह रहे हैं कि समर्थन मूल्य पर बिक्री करने पर उन्हें प्रति क्विंटल 1200 रुपये का घाटा लग रहा है. ऐसे में अच्छी क्वालिटी की दलहन को बेचने वे खुले बाजार का ही रुख कर रहे हैं. मीडियम क्वालिटी की दलहन ही सरकारी खरीदी केंद्र पहुंच रही है.

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अधिकारियों को उम्मीद पूरा हो जाएगा टारगेट
अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि 31 जुलाई तक खरीदी का लक्ष्य पूरा हो जाएगा.
 

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