Happy New Year 2024 : वर्ष 2023 की विदाई में अब बस कुछ यानी तीन दिन ही शेष बचे हैं. हर कोई नववर्ष 2024 की आगवानी के लिए तैयारी में जुटा है, लेकिन ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) अंचल को यह वर्ष कई खट्टी और मीठी यादें देकर जा रहा है. फाइटर प्लेन क्रैश (Fighter Plane Crash) से लेकर सबसे बड़ी राखी और एक साथ 1300 से ज्यादा तबला वादकों (Tabla Players) ने ग्वालियर किले (Gwalior Fort) की प्राचीर पर तबला वादन करने का विश्व रिकॉर्ड (World Record) बनाकर इतिहास रचा. वहीं विदा होने से पहले यह वर्ष कई राजनेताओं को अर्श से फर्श पर कईयों को फर्श से सीधे अर्श पर भी बिठाकर गया. आइए ग्वालियर-चंबल की कुछ चुनिंदा ऐसी घटनाओं का जिक्र करते हैं, जिन्होंने इस साल खूब सुर्खियां बटोरी. जिनके लिए 2023 को याद किया जाएगा.
रक्तरंजित शुरुआत
चंबल (Chambal) अपने रक्तरंजित और अदावत से भरे अतीत को इस वर्ष भी अलग नहीं कर सका. 2023 की शुरुआत को बमुश्किल दो सप्ताह ही बीते थे कि 15 जनवरी को भिण्ड से रक्त से सनी पहली खबर आयी. मेंहगाव क्षेत्र के एक गांव में पुरानी रंजिश के चलते खूनी खेल खेला गया. यहां पूर्व सरपंच (Sarpanch Murder Case) और उसके परिजनों ने एक ही परिवार के तीन लोगों को दिन दहाड़े गोलियों भूनकर मार डाला. इस घटना ने न केवल अंचल और प्रदेश बल्कि पूरे देश मे सुर्खियां बटोरी. ऐसी ही एक खूनी खेल मुरैना में 6 मई को खेला गया. जिले के लेपा गांव में हुआ हत्याओं का का ऐसा खौफनाक मंजर दिखा कि सुनकर ही रोंगटे खड़े हो गए. लेपा में पुरानी रंजिश के चलते एक पूरे परिवार के पुरुष सदस्यों को एक एक कर गोली देकर मार डाला गया. इस वीभत्स हत्याकांड में 6 लोगों की मौत हुई थी. इस नरसंहार का लाइव वीडियो (Live Video) सोशल मीडिया (Social Media) से लेकर बाकी मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था.
दो फाइटर प्लेन हुए क्रैश
2023 की अंचल की बड़ी और दु:खद घटनाओं में रही भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के दो फाइटर प्लेन का क्रैश होना. चंबल अंचल के मुरैना जिले में दो फाइटर प्लेन इस वर्ष क्रैश हुए. इस दुःखद और हृदयविदारक हादसे में वायुसेना का एक युवा और जांबाज पायलट (Air Force Fighter Plane Pilot) शहीद हो गया था. 28 जनवरी की सुबह ग्वालियर एयरबेस (Gwalior Airbase) से उड़ान भरने वाले 2 फाइटर जेट मुरैना जिले के पहाड़गढ़ के जंगल में क्रैश हो गए थे. एक प्लेन मुरैना तो दूसरा राजस्थान की सीमा में जाकर गिरा था. इस हादसे का शिकार विमानों में एक मिराज (Miraj) और दूसरा सुखोई 30 (Sukhoi 30) था. इनमें 3 पायलट्स सवार थे. इनमें से दो तो बच गए लेकिन नीचे स्थित हजारों लोगों की आबादी की जान बचाने के सफल प्रयास में मिराज के पायलट विंग कमांडर हनुमंत राव सारथी शहीद हो गए थे.
चंबल में फिर चीते आये
चंबल में चीतों के रूप में विदेशी चीतों की आवाजाही इस वर्ष भी जारी रही. वैसे तो भारत में चीता प्रोजेक्ट (Project Chetah) के तहत 2022 में पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के जन्मदिन पर आधिकारिक रूप से चंबल के श्योपुर जिले में कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में अफ्रीका से चीते लाकर ये प्रोजक्ट शुरू किया गया था. इस मौके पर पीएम स्वयं भी मौजूद रहे थे, विदेशी चीतों का आना इस वर्ष भी जारी रहा. फरवरी 2023 में भारत को 12 चीतों की दूसरी खेप की सौगात मिली. ये अफ्रीका से भारत लाए गये थे, जिन्हें कूनो नेशनल पार्क में लाकर बसाया गया.
दो बड़े और अनूठे रिकॉर्ड भी हुए दर्ज
चंबल के लिए में यह साल शोक और संताप के लिए ही नहीं बल्कि यहां बने अनूठे रिकॉर्ड के लिए भी याद किया जाएगा. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) देश के सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है. इस मौके पर भिंड के रहने वाले अशोक भारद्वाज ने 31 अगस्त 2023 को दुनिया की सबसे बड़ी और लंबी राखी (World Biggest Rakhi) निर्माण कराने का रिकॉर्ड दर्ज कराया था. ये राखी 1150 फीट की थी, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness World Records) के साथ साथ वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड लंदन (World Book Record), एशिया बुक रिकॉर्ड्स (Asia Book Records), इंडिया बुक रिकॉर्ड्स (India Book Records) , ओएमजी बुक रिकॉर्ड्स (OMG Book Records) में भी दुनिया की सबसे बड़ी राखी और ब्रेसलेट के रूप दर्ज किया गया था.
इसी तरह दूसरा रिकॉर्ड भी जो बना है, वह भी कम अनूठा नहीं है. शास्त्रीय संगीत की शानदार विरासत वाले ग्वालियर को इस वर्ष सबसे बड़ी उपलब्धि मिली यूनेस्को से जिसने ग्वालियर को म्यूजिक सिटी का खिताब दिया. इस सफलता को यादगार बनाने के लिए 25 दिसम्बर को ग्वालियर ने एक अनूठा विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. प्रदेश भर के 1300 से ज्यादा तबलावादकों ने ग्वालियर के ऐतिहासिक किले की प्राचीर पर एक साथ ऐसा तबलावादन किया कि यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अमिट रूप से अंकित हो गया.
इस अद्वितीय क्षण के साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी तो पहुंचे ही, प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी ग्वालियर पहुंचे.
साम्प्रदायिक सौहार्द्र भी देखने को मिला
देश मे धर्म के नाम पर मतभेद की कहानियां और घटनाएं तो बहुत आती रहतीं है, लेकिन 2023 में चंबल में जो आयोजन हुआ वह पूरे देश में साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल के रूप में खूब चर्चित हुआ. भिण्ड जिले के निवासी आज़ाद खान ने अप्रैल माह में अपने गांव में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन कराया. इसके आयोजक ही नहीं परीक्षित के रूप में भी आज़ाद खान ने इसमें भागीदारी करके अनूठा उदाहरण पेश किया. चूंकि संभवतः देश में यह पहला अवसर था जब किसी मुस्लिम परिवार द्वारा भागवत कथा का विशाल आयोजन कराया गया हो, इस वजह से देश की मीडिया में इस खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं.
कई नेताओं के जीवन में उलटफेर
इस वर्ष मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) भी हुए जिनके परिणामों ने सबको चौंका दिया. इस बार कांग्रेस हो या भाजपा दोनों दलों के कई शिखर सितारों को अस्त कर दिया गया, तो कुछ की भूमिका बदल दी जबकि कुछ फर्श से सीधे अर्श पर विराजमान हुए. देश के शक्तिशाली नेताओं में शुमार मोदी सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अपनी ही लोकसभा सीट की एक विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ना पड़ा और अब वे विधानसभा अध्यक्ष हैं.
सरकार के संकटमोचक माने जाने वाले और अपने बयानों के कारण हर रोज ही सुर्खियों में रहने वाले प्रदेश के शक्तिशाली नेता गृह और संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा दतिया सीट से विधानसभा का चुनाव हार गए. वे सीएम पद के दावेदार थे लेकिन पराजय ने उनका मंत्री बनने का रास्ता भी रोक दिया. वहीं भाजपा के एक और बड़े नेता व सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया को भी भिण्ड जिले की अटेर सीट से करारी पराजय का सामना करना पड़ा.
पराजय का यह कर्कश दंश कांग्रेस ने भी जमकर झेला. चंबल में कांग्रेस के अपराजेय नेता माने जाने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह भी इस बार जीत का मुंह नही देख सके. 1990 से लगातार जीत का कीर्तिमान रचने वाले डॉ सिंह 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनी परंपरागत लहार सीट से पराजित हो गए. इसी तरह पांच चुनाव जीत चुके कांग्रेस के लाखन सिंह यादव ग्वालियर जिले की भितरवार सीट से हारकर अर्श से एकदम फर्श पर आ गए. जबकि पहली बार भाजपा से टिकट पाने वाले मोहन सिंह राठौर जीतकर फर्श से अर्श पर पहुंच गए.
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