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कौन हैं सबा हैदर? गाजियाबाद की लड़की जिसने अमेरिका चुनाव में रच दिया इतिहास

Ghaziabad Girl Saba Haider: ड्यूपेज काउंटी से विजयी रहीं सबा हैदर को उनकी सामाजिक कार्यों को देखते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी ने साल 2022 के ड्यूपेज काउंटी बोर्ड के चुनाव में उम्मीदवार बनाया था. तब सबा रिपब्लिकन उम्मीदवार से महज 1000 वोट से हार गईं थी, लेकिन इस बार उन्होंने झंडा गाड़ दिया.

कौन हैं सबा हैदर? गाजियाबाद की लड़की जिसने अमेरिका चुनाव में रच दिया इतिहास
सबा हैदर (फाइल फोटो)

US Election Result 2024: अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव 2024 में रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने धमाकेदार जीत दर्ज की है, लेकिन ड्यूपेज काउंटी में डेमोक्रेट कैंडीडेट गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की सबा हैदर ने चुनाव जीत दर्ज करके अमेरिका में भारत का नाम रोशन कर दिया है.

लगातार दो पराजय के बाद नहीं टूटी सबा हैदर ने अपने तीसरे प्रयास में ड्यूपेज काउंटी से विजयी घोषित की गई. सबा हैदर ने डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका में सत्तारूढ़ होने जा रही प्रतिद्वंद्वी रिपब्लिकन पार्टी के कैंडीडेट पेट्रीसिया पैटी गुस्टिन को करीब 8500 वोटों से हराया.

तीसरी बार में अमेरिका में विजयी झंडा गाड़ने में सफल रहीं

शादी के बाद गाजियाबाद से अमेरिका शिफ्ट हुईं सबा हैदर की जीत से उनका परिवार बेहद खुश है.सबा चुनाव में दो बार मिली हार के गम को भुलाते हुए तीसरी बार किस्मत आजमाया और तीसरी बार में विजयी झंडा गाड़ने में सफल रहीं. सबा हैदर चुनाव में शिकस्त खाने वाली और डेमोक्रेटिक पार्टी से चुनाव जीता हैं. 

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पति की नौकरी के चलते अमेरिका शिफ्ट हुईं थी सबा हैदर

सबा हैदर के पिता ने बेटी की जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि पूरे परिवार को सबा हैदर पर बहुत गर्व है. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही बहुत मेहनती और पढ़ने में टॉप रही है. उसने स्कूल और कॉलेज में टॉप भी किया है. पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद उसकी शादी अलीगढ़ के रहने वाले एक संपन्न परिवार में हुई थी.

ड्यूपेज काउंटी से विजयी रहीं सबा हैदर को उनकी सामाजिक कार्यों को देखते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी ने साल 2022 के ड्यूपेज काउंटी बोर्ड के चुनाव में उम्मीदवार बनाया था. तब सबा रिपब्लिकन उम्मीदवार से महज 1000 वोट से हार गईं थी, लेकिन इस बार उन्होंने झंडा गाड़ दिया.

सामाजिक कार्यों में रूचि ने सबा को राजनीति में पहुंचाया

गौरतलब है अमेरिका में योग ट्रेनर रही सबा हैदर की सामाजिक कार्यों में बहुत रूचि थी और उनकी यही रूचि उन्हें राजनीति में लेकर आई. सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर बेहद मजबूत छवि वाली सबा हैदर ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि पिछले दो चुनावी अनुभव उनके अनुकूल नहीं रहा, लेकिन सबा हैदर ने हौसला नहीं छोड़ा और अपने तीसरे प्रयास में सबा हैदर ड्यूपेज काउंटी से चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया.

सबा ने रिपब्लिकन पैटी गुस्टिन को 8500 वोटों से हराया

डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार सबा ने रिपब्लिकन पार्टी की पैटी गुस्टिन को 8500 वोटों से हराया, जिससे गाजियाबाद और बुलंदशहर में जश्न का माहौल है. सबा का ससुराल बुलंदशहर के कस्बा औरंगाबाद में है, जबकि उनका मायका गाजियाबाद में है. पिता अली हैदर जल निगम से रिटायर इंजीनियर हैं, मां  स्कूल चलाती हैं.

गाजियाबाद की सबा हैदर शादी के बाद पिछले करीब डेढ़ दशक से अमेरिका में बस गईं थी. हजारों लोगों को ऑनलाइन व ऑफलाइन योग का प्रशिक्षण देती आ रहीं सबा हैदर के राजनीतिक करियर का आगाज उनके सामाजिक कार्यों में रूचि से हुआ.

शिकागो में पिछले 15 साल से योग सिखा रही हैं सबा

गाजियाबाद के होली चाइल्ड स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने वाली सबा ने राम चमेली देवी गर्ल्स कॉलेज से बीएससी टॉप किया.अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से वाइल्ड लाइफ में एमएससी में गोल्ड मेडलिस्ट सबा शादी के बाद पति तबरेज अली के साथ शिकागो में बस गईं, जहां वे पिछले 15 साल से योग सिखा रही सबा सामाजिक कार्यों में रूचि लेना शुरू कर दिया. 

ऑनलाइन व ऑफलाइन योग का प्रशिक्षण देती हैं सबा

मूल रूप से बुलंदशहर के औरंगाबाद की रहने वाली सबा हैदर का परिवार अभी गाजियाबाद में बस गया है. शादी के बाद पिछले करीब डेढ़ दशक से अमेरिका में बसीं सबा हैदर हजारों लोगों को ऑनलाइन व ऑफलाइन योग का प्रशिक्षण दे रही हैं. सामाजिक कार्यों में रूचि से उनके राजनीतिक करियर का आगाज हुआ और तीसरे प्रयास में जीतने में सफल रहीं. 

2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी ने बनाया था उम्मीदवार 

ड्यूपेज काउंटी से विजयी रहीं डेमोक्रेट सबा हैदर को उनकी सामाजिक कार्यों में उपलब्धि को देखते हुए पार्टी ने साल  2022 के ड्यूपेज काउंटी बोर्ड के चुनाव में उम्मीदवार बनाया था. साल 2022 में सबा रिपब्लिकन उम्मीदवार से करीब  महज 1000 वोट से हार गईं थी. हार के बावजूद सबा निराश नहीं हुईं. यही कारण था कि उन्हें दोबारा लड़ाया गया.

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