टैटू के शौकीन हो जाएं सावधान... एक्सपर्ट्स ने कहा- इससे है हेपेटाइटिस, HIV और कैंसर का खतरा

Latest Research: स्वीडन में लुंड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 11,905 व्यक्तियों पर एक शोध किया. इस हालिया शोध में टैटू बनवाने वाले व्यक्तियों में लिम्फोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) का जोखिम अधिक पाया गया.

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Latest News on Health: अगर आप भी टैटू (Tattoo) बनवाने का शौक रखते हैं तो सावधान हो जाइए. डॉक्टरों (Doctors) की राय है कि टैटू बनवाने (Tattooing) के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही (Tattoo Ink) और सुई (Tattoo Needles) से हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) और सी (Hepatitis C), एचआईवी (HIV) और लीवर (Liver) के अलावा ब्लड कैंसर (Blood Cancer) का खतरा (Health Risk) भी हो सकता है. आजकल युवाओं में टैटू (Tattoo Trend) बनवाने का चलन है. युवा अपने टैटू के जरिए अपने विचारों या जुनून को समाज के सामने रखते हैं, वह अपनी पसंद के अनुसार अपने शरीर पर टैटू गुदवाते हैं.

एक्पर्ट्स का क्या कहना है?

फोर्टिस अस्पताल (Fortis Hospital) शालीमार बाग के एडिशनल डायरेक्टर और मेडिकल ऑन्कोलॉजी (Medical Oncology) के यूनिट हेड सुहैल कुरैशी ने आईएएनएस को बताया, '' स्वास्थ्य को लेकर जोखिम तब होता है जब किसी एक्‍सपर्ट के हाथों से टैटू नहीं बनवाया जाता. इसकी जानकारी न रखने वाले लोग संक्रमित सुइयों (Infected Needles) का इस्तेमाल करते हैं, जिससे हेपेटाइटिस बी, सी या यहां तक ​​कि एचआईवी जैसे संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है.''

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स्वीडन में लुंड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 11,905 व्यक्तियों पर एक शोध किया. इस हालिया शोध में टैटू बनवाने वाले व्यक्तियों में लिम्फोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) का जोखिम अधिक पाया गया.

लिम्फोमा का जोखिम उन व्यक्तियों में सबसे अधिक था जिन्होंने पिछले दो साल के भीतर अपना पहला टैटू बनवाया था. टैटू के संपर्क में आने से होने वाला जोखिम बड़े बी-सेल लिंफोमा और फॉलिक्युलर लिंफोमा के लिए सबसे अधिक था.

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बिरला अस्पताल के डॉक्टर ने यह कहा

गुरुग्राम के सीके बिरला अस्पताल (CK Birla Hospital) में इंटरनल मेडिसिन के कंसल्टेंट तुषार तायल ने आईएएनएस को बताया, "ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टैटू की स्याही में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) हो सकता है, जो कार्सिनोजेन का एक तत्व है, जिसे त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है. स्याही का एक बड़ा हिस्सा त्वचा से दूर लिम्फ नोड्स में चला जाता है, जहां यह जमा हो जाता है.''

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हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य विभाग ने भी टैटू स्याही की संरचना का सर्वेक्षण किया और पाया कि लेबलिंग और सामग्री के बीच विसंगति है.

उन्होंने जांचे गए नमूनों में से 20 प्रतिशत और काली स्याही में से 83 प्रतिशत में पीएएच पाया. स्याही में पाए गए अन्य खतरनाक घटकों में पारा, बेरियम, कॉपर और एमाइन जैसी भारी धातुएं तथा अलग-अलग तरह के रंग बनाने वाले तत्व आदि शामिल थे. सुहैल ने कहा, "ये खतरनाक रसायन त्वचा संबंधी समस्याओं से लेकर त्वचा कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं."

उन्होंने बताया कि स्याही त्वचा से अवशोषित होकर शरीर के लसीका तंत्र में जा सकती है और इससे लीवर, मूत्राशय जैसे कुछ अन्य कैंसरों के साथ-साथ लिम्फोमा और ल्यूकेमिया जैसे ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

टैटू इंक है खतरनाक

टैटू की स्याही में मौजूद खतरनाक रसायन कई प्रकार की खतरनाक बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं. जब तक स्वास्थ्य देखभाल अधिकारी ऐसी स्याही की सामग्री को सख्ती से नियंत्रित नहीं करते, तब तक यह जोखिम बना रहेगा. सुहैल ने कहा, "सभी टैटू स्याही में ये कैंसर पैदा करने वाले रसायन नहीं होते हैं, लेकिन हमें इसे बनवाते वक्‍त अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि भारत में इसे नियंत्रित करने वाला कोई नियामक ढांचा नहीं है."

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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