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This Article is From Oct 06, 2023

Vinod Khanna Birthday : जब फिल्में छोड़ बन गए थे संन्यासी, ओशो के साथ चले गए थे अमेरिका

विनोद खन्ना ने बॉलीवुड को काफी सुपरहिट फिल्म्स दी हैं जिसमें कुर्बानी, पूरब और पश्चिम, रेशमा और शेरा, हाथ की सफाई, हेरा फेरी, मुकद्दर का सिकंदर, जुर्म जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं. विनोद खन्ना वो एक्टर थे, जिनका बॉलीवुड में कोई फैमिली बैकग्राउंड नहीं था.

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Vinod Khanna Birthday : जब फिल्में छोड़ बन गए थे संन्यासी, ओशो के साथ चले गए थे अमेरिका

आज बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना (Vinod Khanna) का 76वां जन्मदिन है, विनोद खन्ना अब हमारे बीच नही हैं. 27 अप्रैल 2017 को विनोद खन्ना की ब्लैडर कैंसर के कारण मौत हो गई थी. यह कैंसरउ न्हें 2010 से था. विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था, भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद विनोद खन्ना अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए थे. एक्टर विनोद खन्ना बॉलीवुड के वह सुपरस्टार थे जिन्होंने चांदनी (Chandni) दयावान (Dayavan)अमर अकबर एंथोनी (Amar Akbar Anthony) जैसी सुपरहिट फिल्में देकर बॉलीवुड में एक इतिहास बनाया. विनोद खन्ना के निधन के बाद भी उनके फैंस अपने चहेते सुपरस्टार को आज भी याद करते हैं.

विलेन बनकर रखा बॉलीवुड में कदम

साल 1969 में आई फिल्म मन का मीत (Man ka Meet) से विनोद खन्ना ने बॉलीवुड में कदम रखा. उनका पहली फिल्म में विलेन का कैरेक्टर जरूर था पर दिखते एकदम हीरो जैसे थे. सुनील दत्त ने यह फिल्म अपने भाई को लांच करने के लिए बनाई थी, पर फिल्म रिलीज होने के बाद विलेन बने विनोद खन्ना सबकी नजरों में आ गए. जिसके बाद विनोद खन्ना एक हीरो के रूप में लाखों लोगों के दिलों की धड़कन बन गये.

 विनोद खन्ना की यह फिल्म्स रहीं सुपरहिट

विनोद खन्ना ने बॉलीवुड को काफी सुपरहिट फिल्म्स दी हैं जिसमें कुर्बानी, पूरब और पश्चिम, रेशमा और शेरा, हाथ की सफाई, हेरा फेरी, मुकद्दर का सिकंदर, जुर्म जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं. विनोद खन्ना वो एक्टर थे, जिनका बॉलीवुड में कोई फैमिली बैकग्राउंड नहीं था. उन्होंने अपनी मेहनत से बॉलीवुड में एक मुकाम पाया.

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राजनीति में भी आए विनोद खन्ना

विनोद खन्ना साल 1997 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे और 1998 में गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने गए. 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर विनोद खन्ना चौथी बार संसद पहुंचे. इससे पहले 1999 और 2004 में हुए लोक सभा चुनाव में भी वह जीते थे. वहीं 2009 के लोक सभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. 2002 में वह केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री भी रहे.

फिल्में छोड़ विनोद खन्ना बन गए थे सन्यासी 

विनोद खन्ना अपने करियर के पीक में ओशो से प्रभावित होकर संन्यासी बन गए थे. विनोद खन्ना अक्सर ओशो के पुणे स्थित आश्रम में जाया करते थे, वह अपनी फिल्मों की शूटिंग भी पुणे में ही रखवाते थे. जिससे वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय ओशो के साथ बिता पाएं. साल 1975 में विनोद खन्ना अपना सबकुछ छोड़ कर ओशो के साथ अमेरिका चले गए थे.

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