लाख कोशिशों के बावजूद भी सरकारी अस्पतालों की स्थिति ठीक नहीं हो रही है. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी के प्रभार वाले धार जिले के भोज अस्पताल के हाल कितने बेहाल है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बीती रात देखने को मिला. जब प्रसूता को भोज चिकित्सालय में वाहन से डिलीवरी कक्ष तक ले जाने वाला कोई जवाबदार मौजूद नहीं रहा. करीब 1 घंटे तक प्रसूता वाहन में ही प्रसव पीड़ा से तड़पती रही और इसी दौरान वाहन में ही प्रसूता की डिलीवरी हो गई. समय पर इलाज ना मिलने के कारण नवजात बच्ची की वही मौत हो गई. यह आरोप प्रसूता के साथ आए उनके परिजनों ने लगाया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उज्जैनी की रहने वाली महिला को प्रसव पीड़ा के चलते परिजन बगड़ी अस्पताल लेकर गए. जहां प्रसूता को जिला भोज चिकित्सालय रेफर कर दिया गया. महिला के परिजन उसे लेकर जिला भोज चिकित्सालय पहुंचे. प्रसव पीड़ा के चलते महिला की स्थिति बिगड़ने लगी परंतु अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा महिला को लेबर रूम में शिफ्ट नहीं किया गया.
प्रसूता महिला के भाई राजकुमार ने बताया कि जिला भोज चिकित्सालय आने के बाद 1 घंटे तक हम लोग यहां परेशान होते रहें. 4 से 5 बार उपस्थित नर्सों के पास गया और कहा कि मेरी बहन का उपचार शुरू कर दो. इस पर उपस्थित नर्स ने कहा कि अभी ऑपरेशन थिएटर खाली नहीं है, समय लगेगा. लेकिन उसे वार्ड में भी भर्ती नहीं किया गया. उपचार के अभाव में प्रसूता की वाहन में ही डिलीवरी हो गई. जिसमें नवजात शिशु को जन्म दिया मगर उपचार के अभाव में नवजात बच्ची की वही मौत हो गई.
भोज अस्पताल में यह पहली कोई घटना नहीं है. इसके पहले भी कई बार लापरवाही के चलते चिकित्सालय में मरीज और उसके परिजनों का अस्पताल के डॉक्टरों व कर्मचारियों से विवाद होता आया है. यह हालात स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार वाले जिले का है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में नवजात शिशु व अन्य लोगों को किस तरह जीवन से हाथ धोना पड़ रहा है.
लापरवाही को लेकर ड्यूटी पर उपस्थित महिला डॉक्टर का कहना है कि प्रसूता महिला को जिस समय लाया गया उस समय मैं ऑपरेशन में व्यस्त थी.