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This Article is From Aug 06, 2023

स्कूली बच्चे और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर, विकास के दावों की खुली पोल

स्कूली बच्चे प्रतिदिन नदी में से होकर निकलते हैं,जिसके कारण हमेशा दुर्घटना होने का भय बना रहता है. नदी के पानी के कारण अक्सर बच्चों के कपड़े और किताबें गीली हो जाती हैं.

स्कूली बच्चे और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर, विकास के दावों की खुली पोल
स्कूल जाने वाले बच्चे जान जोखिम में डालकर ग्रामीणों के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं.

धार जिले के नालछा की ग्राम पंचायत आमखो में विकास के आंकड़ों के दावों की पोल खुलती हुई देखी जा सकती है. यहां के ग्रामीण एक ही नदी को तीन जगहों से पार करने के बाद आवाजाही करने को मजबूर है. स्कूली बच्चे भी अपनी जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन नदी से होकर स्कूल आते-जाते हैं. ऐसे में किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. 

सड़क निर्माण पूरा नहीं होने से ग्रामीण परेशान 

जानकारी के मुताबिक, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग से एक करोड़ 21 लाख 56 हजार की लागत से सड़क निर्माण एवं पुलिया बनाए जाने की स्वीकृति हुई थी. लेकिन 2 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी निर्माण पूरा नहीं होने से ग्रामीण परेशान हो रहे हैं.

सरकार भले ही कागजों पर विकास के आंकड़ों को गिनाती रहे, लेकिन आज भी दूरस्थ अंचलों में रहने वाले ग्रामीण प्रतिदिन ऐसी समस्याओं से जूझते हुए नजर आते हैं. जबकि वाहन नही निकलने से मरीजों को झोली या खटिया से ले जाना पड़ता है.जिसे देखने के बाद तो सारे विकास के वादे, आंकड़े झूठे साबित नजर आते हैं.

स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर
स्कूली बच्चे प्रतिदिन नदी में से होकर निकलते हैं, जिसके कारण हमेशा दुर्घटना होने का भय बना रहता है. नदी के पानी के कारण अक्सर बच्चों के कपड़े गीले हो जाते हैं एवं किताबें भी गीली हो जाती हैं. कई बार नदी में पानी की आवक ज्यादा होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं और यदि स्कूल चले भी जाते हैं तो फिर उन्हें लौट कर अपने घर जाने में दिक्कत आती है. कई बार नदी में पानी की आवक ज्यादा होने से स्कूली शिक्षक भी स्कूल तक नहीं आ पाते. जिसके कारण स्कूल की छुट्टी हो जाती है.

सरपंच को परेशानी बताने के बाद भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं
जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने वाले बच्चे बताते हैं कि यहां पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं और पानी में फेर निकलता है, जिससे जान जाने का खतरा बना रहता है. इस रास्ते को लेकर हमने गांव के सरपंच को भी बताया था लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई.

वहीं, गांव की महिलाएं बताती हैं कि आए दिन नदी में पानी होने के कारण गांव में एंबुलेंस भी नहीं आती है और किसी महिलाओं को प्रसव पीड़ा होती है तो उसे झोली में डालकर नदी को पार कर आना पड़ता है.

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