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जानवरों के चोट पर मरहम लगाते युवा, अपने खर्चे से बनाया आशियाना, कहा- बेज़ुबानों का दर्द समझें 

Chhattisgarh : शेल्टर होम में इस समय करीब 12-13 मवेशी हैं. इनका इलाज चल रहा है. जैसे ही ये मवेशी ठीक हो जाते हैं उन्हें उनके पहले के स्थान पर छोड़ दिया जाता है. इस समूह के सदस्य सुजल राजपूत ने बताया कि बेजुबानों की सेवा करना उनका मकसद है.

जानवरों के चोट पर मरहम लगाते युवा, अपने खर्चे से बनाया आशियाना, कहा- बेज़ुबानों का दर्द समझें 
जानवरों के चोट पर मरहम लगाते युवा, अपने खर्चे से बनाया आशियाना, कहा- बेज़ुबानों का दर्द समझें 

Chhattisgarh News in Hindi : राजनांदगांव के कुछ युवाओं ने सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले मवेशियों की देखभाल और इलाज का जिम्मा उठाया है. इन युवाओं ने अपनी मेहनत और खर्च से एक शेल्टर होम तैयार किया है, जहां पर घायल मवेशियों को लाकर उनका इलाज किया जाता है. ये शेल्टर होम कंचन बाग इलाके में विश्वकर्मा मंदिर के पास बनाया गया है. यहां पर घायल मवेशियों की देखभाल के लिए 40-50 युवाओं की टोली दिन-रात काम कर रही है. ये सभी लोग मिलकर बेजुबान मवेशियों की सेवा में जुटे हुए हैं. राजनांदगांव के इन युवाओं का कहना है कि सभी को मिलकर बेजुबान जानवरों की मदद करनी चाहिए. उन्हें भी सुरक्षित और खुशहाल ज़िंदगी जीने का हक़ है.

कैसे होता है यहां पर काम ?

दरअसल, युवाओं की इस टोली को सूचना फोन के जरिए मिलती है कि कहीं सड़क या हाईवे पर कोई मवेशी घायल हो गया है. फिर ये टोली तुरंत उस स्थान पर जाकर घायल मवेशी को रेस्क्यू करती है. अगर घाव हल्का है तो उनका इलाज शेल्टर होम में ही किया जाता है. लेकिन अगर घाव गंभीर हो तो मवेशी को दुर्ग या भिलाई ले जाया जाता है जहां पर विशेषज्ञों इलाज करते हैं.

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कौन उठाता है पूरा खर्चा ?

शेल्टर होम और मवेशियों के इलाज का खर्च का जिम्मा पूरी तरह से ये युवा ही उठाते हैं. अभी इनके पास कोई स्थायी फंडिंग का स्रोत नहीं है. कुछ स्थानीय लोग और सेवा-भावी व्यक्ति स्वेच्छा से इनकी मदद कर देते हैं. इस समूह के सदस्य प्रणय मूल्लेवार ने बताया कि ये काम पिछले तीन साल से चल रहा है लेकिन शेल्टर होम इसी साल शुरू किया गया है.

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शेल्टर होम में कितने मवेशी ?

शेल्टर होम में इस समय करीब 12-13 मवेशी हैं. इनका इलाज चल रहा है. जैसे ही ये मवेशी ठीक हो जाते हैं उन्हें उनके पहले के स्थान पर छोड़ दिया जाता है. इस समूह के सदस्य सुजल राजपूत ने बताया कि बेजुबानों की सेवा करना उनका मकसद है. घायल मवेशियों को बचाने और उनका इलाज कराने के लिए ये युवा हर समय तैयार रहते हैं. शेल्टर होम का नाम "बेजुबानों की सेवा आश्रम स्थल" रखा गया है.

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