साल 2023 खत्म होने में महज 5 दिन बचे हैं. इस साल देशभर में कई ऐसी घटनाएं हुई, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जाएगा. वहीं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) भी साल 2023 के कई ऐतिहासिक घटनाओं के लिए जाना जाएगा. यहां विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ऐतिहासिक जीत, धन शोधन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई और लंबे अंतराल के बाद नक्सली हमले (Naxalite attacks) में जवानों की मौत का गवाह रहा.
विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत
इस साल बेमेतरा जिले में सांप्रदायिक हिंसा (Sectarian Violence) और विधानसभा सत्र के दौरान युवाओं के नग्न प्रदर्शन ने भी राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया. बेमेतरा हिंसा में मारे गए युवक के पिता अब भाजपा (BJP) के विधायक हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ में इस साल के मध्य में चुनावी माहौल गरमाना शुरू हो गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की रणनीति और जोरदार चुनाव प्रचार ने भाजपा को 54 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दिलाई और पांच वर्ष बाद बीजेपी कांग्रेस से सत्ता छीनने में कामयाब रही.राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 35 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. छत्तीसगढ़ में पहली बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी एक सीट जीतने में कामयाब रही.
आदिवासी बहुल इस राज्य में 2003 से 2018 तक लगातार तीन बार सत्ता में रहने के बाद 2018 के चुनाव में भाजपा को महज 15 सीटें ही मिली थी. चुनाव में जीत के बाद भाजपा ने प्रमुख आदिवासी चेहरे विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक अरुण साव और विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया है.
पंखुड़ियां बिछाकर प्रियंका गांधी का स्वागत भी सुर्खियों में खूब रही
इस वर्ष फरवरी माह में कांग्रेस ने राजधानी रायपुर में अपना 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया था, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मौजूद रही. अधिवेशन के दौरान सड़क पर गुलाब की पंखुड़ियां बिछाकर प्रियंका गांधी के स्वागत ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया और पार्टी को विपक्ष की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा.
इतिहास में पहली बार विधानसभा चुनाव में जे और बसपा ने नहीं खोल सकी खाता
राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा स्थापित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को खासा नुकसान उठाना पड़ा. दोनों ही पार्टियां इस बार अपना खाता खोलने में विफल रहीं. जोगी की पत्नी और पिछली विधानसभा में विधायक रेणु जोगी कोटा से हार गईं. ये पहली बार है कि जब विधानसभा में जोगी परिवार का कोई भी सदस्य नहीं है.
महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप भी रहा सुर्खियों में
अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को पाटन सीट से और अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी को अकलतरा सीट से हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को सफलता नहीं मिली. इस वर्ष कथित कोयला लेवी, शराब और महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप घोटालों के सिलसिले में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों के परिसरों पर ईडी के कई छापे पड़े.
'कैश कूरियर' को किया गया गिरफ्तार
अलग-अलग मामलों में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में आईएएस अधिकारी रानू साहू, कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर और आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं. पिछले महीने चुनावों से पहले ईडी ने महादेव ऐप मामले से जुड़े कथित 'कैश कूरियर' को गिरफ्तार कर दावा किया था कि फोरेंसिक विश्लेषण और 'कैश कूरियर' द्वारा दिए गए एक बयान से 'चौंकाने वाले आरोप' सामने आए हैं कि महादेव सट्टेबाजी ऐप (Mahadev Betting App Case) प्रमोटरों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अब तक लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और ये जांच का विषय है. ईडी ने महादेव ऐप मामले में बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी.
सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए भुनेश्वर साहू के पिता को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा
बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में सांप्रदायिक हिंसा का मामला भी इस साल छाया रहा. चुनाव प्रचार में भाजपा ने इस घटना को मुद्दा बनाया और हिंसा में मारे गए भुनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को साजा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. साहू ने राज्य के मंत्री और प्रभावशाली कांग्रेस नेता रवींद्र चौबे को हरा दिया. बता दें कि साहू के 22 वर्षीय बेटे भुनेश्वर साहू की आठ अप्रैल को बिरनपुर गांव में सांप्रदायिक हिंसा में मौत हो गई थी. वहीं 11 अप्रैल को बिरनपुर निवासी रहीम मोहम्मद (55) और उनके बेटे इदुल मोहम्मद (35) का शव बरामद किया गया था. दोनों के शरीर पर चोट के निशान थे.
ये भी पढ़े: MP News : सीधी के प्रतिभावान तबला वादक हैं अभितांजल, बालरंग महोत्सव में बने राज्य स्तरीय विजेता
दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमला इस साल के ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा
राज्य में इस साल अप्रैल माह दंतेवाड़ा में नक्सली हमले का गवाह रहा. 26 अप्रैल को नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में माओवादियों ने सुरक्षाबलों के एक वाहन को उड़ा दिया. इस घटना में दस जवानों और वाहन चालक की मृत्यु हो गई. पिछले ढाई साल में राज्य में सुरक्षा बलों पर माओवादियों का ये सबसे बड़ा हमला था. पुलिस के अनुसार, इस साल नवंबर के अंत तक राज्य में नक्सली हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में 25 सुरक्षाकर्मी और 41 नागरिक मारे गए. पिछले साल ये आंकड़ा 10 और 36 था. इस साल नवंबर तक सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 19 नक्सली मारे गए हैं. पिछले वर्ष यह संख्या 30 थी.
नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के बावजूद, माओवाद प्रभावित बस्तर संभाग और चार अन्य जिलों के 20 निर्वाचन क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 78 प्रतिशत मतदान हुआ.
सरकार के खिलाफ नग्न विरोध प्रदर्शन कर युवाओं ने खींचा सबका ध्यान
वहीं इस वर्ष जुलाई माह में युवकों के एक समूह ने राजधानी में विधानसभा के रास्ते पर नग्न विरोध प्रदर्शन किया और फर्जी जाति प्रमाणपत्र का उपयोग कर सरकारी नौकरी पाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
ये भी पढ़े: 9वीं बार बने विधायक, 16 साल रहे मंत्री... फिर भी गोपाल भार्गव को नहीं मिली मोहन कैबिनेट में जगह