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किसकी गोली लगने से दूध पी रही 6 महीने की मासूम की हुई मौत? सुनिए मां की जुबानी

एक जनवरी की शाम इस परिवार के लिए जीवन का काला अध्याय साबित हुआ. इस दिन को परिवार जीते जी कभी भूल नहीं सकता. एक जनवरी की शाम इसी गांव में बंदूक से निकली एक गोली ने छह माह की की एक मासूम से उसकी जिंदगी छीन ली.

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किसकी गोली लगने से दूध पी रही 6 महीने की मासूम की हुई मौत? सुनिए मां की जुबानी
किसकी गोली लगने से दूध पी रही 6 महीने की मासूम की हुई मौत? सुनिए मां की जुबानी
मैं घर में चारपाई पर बैठकर अपनी बेटी को दूध पिला रही थी.... तभी घर की दूसरी तरफ से शाम करीब 4 बजे जवानों ने फायरिंग शुरू कर दी.. और फायरिंग की जद में आकर गोली लगने से मेरी मासूम बेटी की मौत हो गई और मैं घायल हो गई.

अपनी आपबीती सुना रही इस महिला का नाम मासे सोढ़ी है.1 जनवरी की शाम महिला की 6 महीने की बच्ची दूध पी रही थी...तभी पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में चली एक गोली बच्ची को जा लगी. घटना में एक गोली मासे के हाथ में जा लगी. मामला मुतवेण्डी गांव के रहने वाले बामन और मासे दंपत्ति से जुड़ा है. 

जानिए क्या है मामला? 

एक जनवरी की शाम बामन और मासे दंपत्ति के लिए उनके जीवन का काला अध्याय साबित हुआ. इस दिन को ये परिवार जीते-जी कभी भूल नहीं सकता. मुतवेण्डी गांव जहां सुरक्षा के साए में सड़क बन रही है. एक जनवरी की शाम इसी गांव में बंदूक से निकली एक गोली ने छह माह की की एक मासूम से उसकी जिंदगी छीन ली. घटना के फौरन बाद पुलिस की तरफ से दावा किया गया कि नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान क्रॉस फायरिंग में गोली मासूम को लगी. गोली भी नक्सलियों की तरफ से दागी गई थी. पुलिस के इस बयान को चंद घंटे हुए थे कि नक्सलियों की तरफ से नया बयान आता है. जिसमें नक्सल संगठन बच्ची की मौत के लिए पुलिस को कसूरवार ठहराते हुए पुलिसिया दावे का खंडन करता है.जिस इलाके में यह घटना घटी वहां हालात खंदक जैसे हैं. समूचा इलाका नक्सलियों के प्रभाव में है, जहां सुरक्षा के सख्त पहरे में विकास का खाका खींचने की तैयारी है.

ये वही घर है जहां पर 1 जनवरी की शाम घटना घटी थी.

ये वही घर है जहां पर 1 जनवरी की शाम घटना घटी थी.

आखिर किसकी गोली से छह माह की मासूम की मौत हुई? पुलिस और नक्सलियों के दावों का आखिर सच क्या है ? इन्हीं सवालों का जबाव तलाशने के लिए NDTV संवाददाता ने घटना के अगले ही दिन मुतवेण्डी गांव का रुख किया. वैसे तो, गंगालूर से बुरजी होकर मुतवेण्डी पहुंचा जा सकता है, क्योंकि यहां तक सुरक्षा के सख्त पहरे में कच्ची सड़क पहुंच चुकी हैं, लेकिन जैसे-तैसे हम एड़समेटा गांव के रास्ते पहाड़ियों, पहाड़ी नालों को लांघकर मुतवेण्डी के सफर पर निकले. 

पड़ाव में जंगल-पहाड़ी नालों और पहाड़ियों को दुपहिया के सहारे पार करने की चुनौती सीना ताने खड़ी थी. करीब दो घंटे से ज्यादा थकान भरे सफर को पूरा कर देर शाम हम पहुंच हिरुमगुंडा गांवचुके थे. पहले ही पड़ाव में यहां हमारी मुलाकात मृत मासूम के पिता बामन से हुई, जो बीजापुर तक पहुंचे नहीं थे और वापस अपने गांव मुतवेण्डी लौट रहे थे. बामन से हमारी बातचीत यही हुई, उसने जो देखा कैमरे पर कह दिया और अपने गांव की ओर बढ़ गया. बामन को हिंदी नहीं आती. उसने पूरी बात गोंडी बोली में कही. जानकारों की मदद से हिंदी अनुवाद इस तरह है.

“जवानों ने कहा था कि सड़क निर्माण किया जाना है, इसलिए सड़क निर्माण की साइट पर आकर हम बता दें कि आपकी जमीन कौन सी है. कहीं पेड़ पौधे तो सड़क की जद में तो नहीं आ रहे, इसलिए हम सब उसी तरफ जा रहे थे, इस बीच फायरिंग शुरू हो गई, और वहीं, पास के एक मकान में मेरी बीवी अपनी छह महीने की बेटी को दूध पिला रही थी. तभी गोली आकर बीवी के हाथ को घायल करते हुए बेटी को जा लगी, जिससे मौके पर मेरी बेटी की मौत हो गई. अब मुझे मुआवजा नहीं बल्कि बेटी के बदले बेटी चाहिए.”

अंधेरा होने की वजह से हम मुतवेण्डी तक पहुंच नहीं पाए. इसलिए रात हिरुमगुंडा में बीतानी पड़ी. अगली ही सुबह दोबारा मोटरसाइकिल पर सवार होकर मुतवेण्डी के लिए रवाना हुए. ग्रामीणों के कहे अनुसार आधे घंटे जंगल-पहाड़ियों में सफर कर हम मुतवेण्डी पहुंचे. गांव घुसने के बाद कुछ घरों के बाहर केवल बच्चे खेलते-कूदते नजर आए. बाकी पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था. ग्रामीणों की मदद से हम बामन के घर पहुंचे. पता चला कि यहा उसका घर नहीं बल्कि बड़े भाई का घर है, लेकिन गोलीबारी के वक्त मासे अपने दुंधमुंहे बच्चे के साथ यही मौजूद थी. घटना के वक्त मासे आंगन में चारपाई पर बैठी अपनी दुंधमूही बच्ची को स्तनपान करा रही थी कि तभी एक गोली उसकी हथेली को जख्मी करते स्तनपान कर रही उसकी बच्ची के शरीर में जा धंसी. इस बीच मृत बच्ची के अंतिम संस्कार की खबर मिली. घटना स्थल से कुछ दूरी पर सुरक्षा के बीच बच्ची का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान जरूरी मजिस्टियल प्रक्रिया भी पूरी की गई. मीडिया वहां पहुंचती, इसके पहले ही जवानों ने रोक लिया.

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कुछ देर बाद मृत बच्ची की मां मासे और ग्रामीण लौटे. मासे से हमारी बातचीत हुई. गोंडी में बोलते मासे ने कहा, मैं घर में चारपाई पर बैठकर अपनी बेटी को दूध पिला रही थी.... तभी घर की दूसरी तरफ से शाम करीब 4 बजे जवानों ने फायरिंग शुरू कर दी.. और फायरिंग की जद में आकर गोली लगने से मेरी मासूम बेटी की मौत हो गई और मैं घायल हो गई.

मामले को लेकर पुलिस ने क्या कहा? 

मौके पर बीजापुर SP आंजनेय वार्ष्णेय मौजूद थे. परिजनों के कथन समेत पुलिस के दावों और नक्सलियों के खंडन को लेकर उनका कहना था कि बच्ची की मौत नक्सलियों की गोली से हुई. SP के मुताबिक एक जनवरी को जवान इलाके में एरिया डॉमिनेशन पर थे. इस दौरान नक्सलियों की तरफ से ब्लास्ट किया गया. जवानों ने पोजिशन लिया. नक्सली फायर करते भाग रहे थे, और नक्सलियों की फायर में एक गोली बच्ची को लगी

अंजनेय वार्ष्णेय, SP, बीजापुर

अंजनेय वार्ष्णेय बीजापुर SP ने मामले की जानकारी देते हुए NDTV से बात की. 

SP से हमारी चर्चा जारी थी कि इसी बीच गांव से कुछ दूरी पर IED मिलने की खबर आई. फोर्स के साथ कुछ किमी पैदल चलकर हम भी मौके पर पहुंचे. हमें एक निश्चित दूरी पर रहने के निर्देश थे. कुछ देर बाद बम को सुरक्षित ब्लास्ट किया गया...दो दिन एक रात और चुनौतीपूर्ण सफर के बावजूद मुतवेण्डी में घटी घटना, परिजनों के आरोप और पुलिस-नक्सली के तमाम दावों पर अब भी सवालों के धूंध छाए हुए हैं. सवालों के जबाव भले ना मिल रहे हो लेकिन इस घटना से एक मां की गोद सुनी हो गई, पिता की आंखों में आंसू उसके जख्म को बयां कर रहे हैं.  सवाल तो अब भी यही है कि आखिर किसकी गोली से मासूम बच्ची का अंत हो गया?

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