
Stop Obesity: केंद्र सरकार भारत में मोटापे की समस्या से निपटने के लिए मुहिम प्रारंभ कर दी है. 28 जनवरी 2025 को देहरादून में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल के शुभारंभ समारोह के दौरान पीएम मोदी ने मोटापे से निजात पाने के लिए फिट इंडिया एवं स्वास्थ्य जीवनशैली अभियान के लिए देशवासियों से अपील की थी. इस अभियान के तहत देश में मोटापा जैसी समस्या से निपटने के लिए अभियान शुरू हो गया है. इस अभियान में स्कूली बच्चों को पोस्टर के माध्यम से फास्ट फूड एवं मीठे पेय पदार्थों के कारण होने वाले मोटापे की समस्या के प्रति जारगरूक किया जाएगा. वहीं अब छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में मोटापे की समस्या से निपटने के लिए फिट इंडिया एवं स्वस्थ जीवनशैली के लिए अभियान शुरू कर दी है.
क्यों खतनाक है ये समस्या?
वर्तमान दौर में मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है, जो बड़ों और बच्चों दोनों को प्रभावित कर रहा है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एनएफएचएस के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक पांच में से एक वयस्क अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है.
मोटापा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कुछ कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों के जोखिम को बढ़ाता है. यह मानसिक स्वास्थ्य, गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है. साथ ही, यह स्वास्थ्य देखभाल लागत और उत्पादकता हानि के माध्यम से आर्थिक बोझ बढ़ाता है.
मोटापा आनुवंशिकी, अस्वास्थ्यकर आहार और कम शारीरिक गतिविधियों का परिणाम है. वैश्विक खाद्य बाजारों के एकीकरण ने प्रसंस्कृत और उच्च वसा, नमक, चीनी वाले खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ाई है, जिससे प्रति व्यक्ति कैलोरी सेवन में वृद्धि हुई है. बच्चों में मोटापा खराब खान-पान और गतिहीन जीवनशैली के कारण बढ़ रहा है. यह शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ बच्चों के आत्म-सम्मान, मानसिक स्वास्थ्य और स्कूल प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है.
सरकार ने शुरु की हैं कई पहल
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मोटापे और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने के लिए कई पहल शुरू की हैं. 10 मई 2025 को जारी दिशानिर्देशों के तहत कार्यस्थलों, स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में ऑयल और शुगर बोर्ड लगाने का निर्देश दिया गया है. इन बोर्डों पर खाद्य पदार्थों में छिपी वसा और चीनी की मात्रा की जानकारी प्रदर्शित की जाती है, ताकि लोग संतुलित आहार चुन सकें.
सरकार ने पोषण अभियान और ईट राइट इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पौष्टिक आहार और मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा को बढ़ावा दिया है. ये फसलें पोषक तत्वों से भरपूर, ग्लूटेन-मुक्त और मोटापा, मधुमेह, और हृदय रोग की रोकथाम में सहायक हैं. नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत, स्कूलों में स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है. आयुष्मान भारत के स्कूल हेल्थ ऐंड वेलनेस प्रोग्राम के तहत, शिक्षकों को हेल्थ ऐंड वेलनेस एंबेसडर के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो बच्चों को स्वस्थ आदतें सिखाते हैं.
सीबीएसई और स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूलों और कार्यस्थलों में जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाओं के आयोजन पर जोर दिया है. इनका उद्देश्य छात्रों और कर्मचारियों को संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के महत्व के बारे में शिक्षित करना, उच्च वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के जोखिमों की जानकारी देना, और अनुभवात्मक शिक्षण को बढ़ावा देना है, जैसे छात्रों द्वारा ऑयल और शुगर बोर्ड डिजाइन करना. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने अपने यूट्यूब चौनल पर जागरूकता सामग्री और पोस्टर उपलब्ध कराए हैं, जिनका उपयोग स्कूल और कार्यस्थल कर सकते हैं.
स्कूलों में ऑयल और शुगर बोर्ड और जागरूकता सेमिनार बच्चों को प्रारंभिक अवस्था से ही स्वस्थ आदतें अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देकर, भारत एक स्वस्थ और सशक्त राष्ट्र की ओर अग्रसर हो सकता है. सभी नागरिकों से अपील है कि वे इन पहलों में सक्रिय रूप से भाग लें और स्वस्थ भारत के दृष्टिकोण को साकार करें.
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