मुद्दे Vs मोदी-महतारी वंदन योजना: महासमुंद, राजनांदगांव और कांकेर का सियासी गणित क्या?

बस्तर का चुनाव संपन्न होने के बाद छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव का मतदान 26 अप्रैल को होने जा रहा है. महासमुंद, राजनांदगांव और कांकेर में वोट डाले जाएंगे. ऐसे में ये जानना दिलचस्प होगा कि आखिर इन लोकसभा सीटों पर प्रचार अभियान कैसे चला? किस पार्टी ने कौन से मुद्दों पर दांव खेला.

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CG Loksabha Election 2nd Phase: बस्तर का चुनाव संपन्न होने के बाद छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव का मतदान 26 अप्रैल को होने जा रहा है. महासमुंद, राजनांदगांव (Rajnandgaon Lok Sabha Seat 2024) और कांकेर में वोट डाले जाएंगे. राज्य गठन के बाद के जीत के आंकड़े देखें तो कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले कहीं नहीं टिकती. लेकिन, मुद्दों का जोर हो, चेहरों के जरिए समीकरण बदलने की पुरजोर कोशिश हो तो वोटर्स का मूड बदलते देर नहीं लगती. यहां भी कांग्रेस‍ी जहां महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को जोरशोर से उठा रहे हैं तो बीजेपी को मोदी के नाम का भरोसा है. भाजपा का साथ, सबका व‍िकास ये सब अबकी बार गौण हो चुके हैं. पीएम मोदी के पिछले 10 साल के बड़े फैसलों मसलन राम मंदिर आदि को भुनाने की कोशिश जारी है. अब देखने वाली बात ये कि ऊंट किस करवट लेता है.

Mahasamund Lok Sabha Seat: स्थानीयता से आगे बढ़कर राज्य स्तरीय चेहरों पर दांव खेल रही कांग्रेस ने यहां भी पूर्व गृहमंत्री व दुर्ग जिले की राजनीति में सक्रिय रहे ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा है. मतलब पहली नजर तो साहू वोटर्स पर है तो वहीं कुल आबादी के 51 फीसद ओबीसी वर्ग को भी साधने का पूरा प्रयास है. कांग्रेस यहां बड़ी सभाओं की जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस और घर-घर पहुंच बनाकर अंडर करंट दौड़ाने का प्रयास किया है. दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी रूप कुमार चौधरी ने मोदी सरकार के द्वारा पिछले 10 साल में किए गए कामों और पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगा है.  

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Rajnandgaon Lok Sabha Seat: कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर अभी जो सबसे बड़ा चेहरा है वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का है. चेहरे को भुनाने का सबसे बड़ा प्रयास यहीं किया जा रहा है. जहां कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बघेल अपने पिछले 5 साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहे हैं तो वहीं बीजेपी से स्थानीय बनाम बाहरी की बात कहते हुए पिछले 5 साल के कथित भ्रष्टाचार को सामने रखा गया है. मोदी का चेहरा व राज्य सरकार की महतारी वंदन योजना तो है ही. रमन प्रभाव को भी यहां एक फैक्टर के रूप में देखा जा रहा है. 

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Kanker Lok Sabha Seat: ये आदिवासी सीट है तो बीजेपी ने यहां आदिवासी राष्ट्रपति बनाने और जनमन योजना जैसी आदिवासी मूलक योजनाओं पर ज्यादा फोकस किया है. इसके अलावा बीजेपी ने मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. स्थानीय समस्याओं,विकास,सड़क,वनोपज और वन अधिकार जैसी बातें सिरे से गायब है. कांग्रेस भी महंगाई, बेरोजगारी जैसे मसलों को उठाकर राष्ट्रव्यापी समस्याओं से रूबरू कराने का ही काम किया है. दूसरी बात ये है कि पिछली बार कम अंतर से हारने वाले कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर को इस बार इस बात की सहानुभूति मिलने की भी उम्मीद है.

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इससे पहले छत्तीसगढ़ में बस्तर लोकसभा सीट पर पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से लगभग 60 हजार जवान सुरक्षा में तैनात रहे. शांतिपूर्ण मतदान संपन्न होने के बाद कड़ी सुरक्षा में ईवीएम को सील कर दिया गया है. बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार 68.30 फीसद वोटिंग हुई है. 

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