
Maharashtra State Power Generation Company Limited: महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को आवंटित गारे-पेलमा सेक्टर-II कोयला खदान के जल्दी संचालन की मांग की जा रही है. रायगढ़ जिले के तामनार ब्लॉक के कई गांवों के प्रभावित ग्रामीण बुधवार को कलेक्टर और एसपी से मिलने जिला मुख्यालय पहुंच गए. उन्होंने कलेक्टर और एसपी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और परियोजना में हो रही देरी पर चिंता जताई. ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि परियोजना के शुरू न होने से वे रोजगार और मुआवजे के लंबे इंतजार में हैं. उनका जीवन ठहराव की स्थिति में है, इसलिए खदान का काम जल्द शुरू किया जाए.
सर्वे हुआ, अधिग्रहण और मुआवजा नहीं
ढोलनारा, सरायटोला, भालूमाड़ा, कुंजीमुरा, मुड़ागांव, चितवाही, डोलेसरा और पाता जैसे गांव वर्षों से इस उम्मीद में हैं कि महाजनको की कोल परियोजना (Coal Project) से उन्हें स्थायी आय और सामाजिक सुरक्षा मिलेगी. हालांकि, अब तक न तो उनकी जमीन अधिग्रहित की गई है और न ही मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हुई है. केवल सर्वे कार्य किया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना की घोषणा ने उन्हें आशा दी थी कि उन्हें रोजगार और मुआवजा मिलेगा, लेकिन वर्षों बाद भी वे उसी मोड़ पर खड़े हैं.
ज्ञापन में ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
ग्रामीणों ने ज्ञापन में मांग की कि खदान का संचालन जल्दी शुरू किया जाए, ताकि अधिग्रहण, मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया आगे बढ़ सके. उन्होंने स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता से महाजनको में नौकरी देने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था, महिलाओं के लिए सशक्तिकरण योजनाएं, बुनियादी सुविधाएं और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी मांग रखी.
कलेक्टर के साथ हुई चर्चा के मुख्य बिंदु
बैठक के दौरान ढोलनारा और डोलेसरा के ग्रामीणों ने शीघ्र मुआवजे की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि एक ही परियोजना के अंतर्गत सभी प्रभावितों को समान मुआवजा मिलना चाहिए. इस पर कलेक्टर ने कहा कि मुआवजा वितरण प्रचलित कानूनों के अनुसार ही किया जाएगा.
स्थानीय रोजगार के मुद्दे पर ग्रामीणों ने महाजेनको की मुख्य भूमिका सुनिश्चित करने की मांग रखी, जिस पर कलेक्टर ने सलाह दी कि ग्रामीण अपनी योग्यता के अनुसार आवेदन करें और वे संबंधित विभाग से समन्वय करेंगे. स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अस्पताल निर्माण की भी मांग की गई.
बाहरी हस्तक्षेप से बढ़ रही परेशानी
ग्रामीणों का मानना है कि कुछ बाहरी राजनीतिक तत्व और गैर-सरकारी संगठन जानबूझकर भ्रम फैलाकर परियोजना को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इसका सीधा असर स्थानीय समुदाय की आजीविका और विकास की संभावनाओं पर पड़ रहा है.
सपनों को मत तोड़ो
ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि जब परियोजना घोषित हो चुकी है और सर्वे हो चुका है तो अब देरी नहीं होनी चाहिए. वे चाहते हैं कि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शिता से हो, समय पर मुआवजा मिले और रोजगार के नए अवसर बनाए जाएं.