सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को एनसीपी नेता रामअवतार जग्गी ( NCP leader Ram Avataar Jaggi ) हत्याकांड मामले में अहम फैसला सुनाते हुए अमित जोगी के बरी करने के खिलाफ सीबीआई (CBI) की अपील को फिर से बहाल कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को फिर से सुनवाई के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भेजा है. इस दौरान जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि गंभीर आरोपों वाले मामले में CBI की अपील सिर्फ तकनीकी आधारों (जैसे देरी) पर खारिज नहीं की जानी चाहिए. बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी की बरी के खिलाफ CBI ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने अपील करने में देरी कहते हुए खारिज कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार और शिकायतकर्ता सतीश जग्गी द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि लालू प्रसाद यादव बनाम स्टेट ऑफ बिहार (2010) के फैसले के अनुसार, CBI द्वारा की गई जांच वाले मामलों में राज्य सरकार को धारा 378 CrPC के तहत अपील का अधिकार नहीं है. अमित जोगी उस तारीख से पहले 2007 में बरी हुए थे, जब धारा 372 CrPC में पीड़ित को अपील का अधिकार देने वाला प्रावधान (31 दिसंबर 2009) लागू हुआ था. इसलिए शिकायतकर्ता की अपील भी कानूनी रूप से असंवैधानिक मानी गई.
हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई अपली खारिज करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गंभीर आरोपों वाले मामले में सत्य की जांच सुनिश्चित करना ज़रूरी है. हम CBI की देरी के स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन इतने गंभीर आरोपों वाले मामले को महज तकनीकी आधारों पर नहीं फेंका जा सकता.
क्या है मामला
एनसीपी नेता रामअवतार जग्गी की 4 जून 2003 को हत्या हुई थी. राज्य पुलिस ने शुरू में जांच की, बाद में मामला CBI को सौंपा गया. CBI ने पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी पर साजिश का आरोप लगाते हुए नई चार्जशीट दायर की थी. बाद में 31 मई 2007 को ट्रायल कोर्ट ने 28 आरोपियों को दोषी ठहराया, लेकिन अमित जोगी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. इसके खिलाफ राज्य सरकार, शिकायतकर्ता और CBI— तीनों ने हाईकोर्ट में अपील की, पर सभी खारिज हुईं. अब सुप्रीम कोर्ट ने CBI की अपील बहाल करके मामले को नई सुनवाई के लिए हाईकोर्ट भेज दिया है.