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नक्सलियों के गढ़ में 100 दिनों में खुले सुरक्षाबलों के 9 नए कैंप, सालों बाद ग्रामीण मना रहे आजादी का जश्न

Independence Day Special: नक्सलियों के गढ़ में सुरक्षा बलों का कैम्प खुलने के बाद इलाके की तस्वीर बदलने लगी है. कई गांव नक्सलियों के चंगुल से मुक्त हो रहे हैं. 

नक्सलियों के गढ़ में 100 दिनों में खुले सुरक्षाबलों के 9 नए कैंप, सालों बाद ग्रामीण मना रहे आजादी का जश्न

Chhattisgarh News: कई साल से नक्सलवाद का दंश झेल रहे सुकमा जिले में सुरक्षाबलों के नए पुलिस कैंप की स्थापना से इलाके के गांवों में विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है. यहां शासन की योजनाएं तक नहीं पहुंच पाती थी. लेकिन अब इन गांवों की सूरत के साथ तकदीर भी बदल रही है. गांव में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है. राशन से लेकर स्वास्थ्य सेवाएं अब गांव में ही मिलनी शुरू हो गई हैं.  

नक्सलियों की चलती थी सरकार

सुकमा पुलिस और जिला प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद बीते 100 दिनों में सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में 9 नए पुलिस कैंप की स्थापना की गई है. इन 9 पुलिस कैंप के करीब बसे 32 गांव मुख्यधारा में जुड़ गए हैं. कैंप खुलने के साथ ही गांव तक पक्की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है.

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घोर नक्सल प्रभावित पूवर्ती, टेकलगुड़म, दुलेड़, मुकराज कोंडा, सलातोंग, मुलेर, परिया, लखापाल और पुलनपाड़ इलाके कभी नक्सलियों के कब्जे में थे. यहां चार दशक से ज्यादा समय से नक्सलियों की सरकार चलती थी.      

 बदल रही नक्सल इलाके की तस्वीर

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से नक्सलवाद के मोर्चे पर सरकार का आक्रामक रूप असर साफ नजर आ रहा है. मुठभेड़ में नक्सलियों के मारे जाने के साथ बड़ी संख्या में नक्सलियों का सरेंडर भी हो रहा है. नए पुलिस कैंप के खुलने से इलाके में बड़ा परिवर्तन नजर आ रहा है. वहीं सरकार द्वारा चलाए जा रहे नियद नेल्ला नार योजना से नक्सल इलाके की तस्वीर धीरे—धीरे बदल रही है.

पूवर्ती, टेकलगुड़म, दुलेड़, मुकराज कोंडा, सलातोंग, मुलेर, परिया, लखापाल और पुलनपाड़ इलाके में आजादी का जश्न पहली बार बनाया जाएगा. 78 साल बाद यहां तिरंगा फहराया जाएगा.  इन गांव में आजादी के बाद से ऐसा कार्यक्रम कभी नहीं हुआ.  

पहुंचना हुआ आसान 

नक्सलियो के दरभा डिवीजन अंतर्गत आने वाले घोर नक्सल प्रभावित परिया इलाके की तस्वीर अब बदलने लगी है. नक्सलियों के गढ़ के रूप में पहचान बना चुके परिया का इलाका विकासात्मक कार्यों के लिए पहचाना जाने लगा है. कैंप खुलने के बाद इलाके के तस्वीर तो बदल ही रही है, वहीं ग्रामीणों का विश्वास शासन—प्रशासन के प्रति भी बढ़ रहा है. सामसट्टी और परिया के बीच पड़ने वाले पहाड़ को काटकर सड़क बनाया जा रहा है. सालों से पगडंडी और पथरीले रास्तों पर चलने वाले ग्रामीण अब मोटर बाइक से सफर कर रहे हैं. सड़क बनने से पंचायत का सड़क संपर्क सीधे जिला मुख्यालय से जुड़ गया है.

सरकारी राशन की सुविधा गांव में हो इसके लिए PDS गोदाम का निर्माण भी कराया जा रहा है. डेढ़ माह के अंदर ही  सरकारी राशन का वितरण गांव में ही होने लगेगा. गांव में मोबाइल टावर के लगने से देश दुनिया की खबरों व मनोरंजन का आनंद ग्रामीण ले रहे हैं.  

सरपंच बोले—परेशानियों से मिली राहत

बगड़ेगुड़ा सरपंच वंजाम सोमा ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती थी. पुलिस कैंप खुलने के बाद से गांव में सरकारी योजनाएं पहुंच रही हैं. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मिलने लगी हैं. सड़क बनने से आना—जाना आसान हुआ है. राशन के लिए मीलों सफर करने से निजात मिली है.

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सालों बाद मनाएंगे आजादी का जश्न 

सुकमा के SP किरण चव्हाण ने बताया कि परिया इलाके के अधिकांश गांव नक्सलियों के कब्जे में रहे हैं. इस इलाके में नक्सलियों की दरभा डिवीजन का राज था. पहाड़ी और घने जंगल होने की वजह से यह इलाका नक्सलियों के लिए सुरक्षित रहा है. सुरक्षा बलों का हालही में कैंप खुलने से लोगों को राहत मिली है. जवानों की इन इलाकों में पैठ बढ़ने से नक्सली गतिविधियों में कमी आई है. वहीं विकासात्मक कार्यों के चलते ग्रामीणों का विश्वास प्रशासन के प्रति बढ़ा है. 

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