गरीबी से लाचार पिता पूरी नहीं कर पाया बेटे की फरमाइश, नए जूते नहीं दिलाए तो लगा ली फांसी

अंबिकापुर शहर से लगे ग्राम असोला में एक गरीब पिता को अपने बेटे के लिए जूता नहीं खरीदना महंगा पड़ गया. जिसके बाद बच्चे ने गुस्से में आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है. 

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
प्रतीकात्मक फोटो

Poverty Stricken Father in Ambikapur: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर (Ambikapur) में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. गरीबी (Poverty) का दंश झेल रहे एक ग्रामीण परिवार (Poor Family) को अपने बेटे की फरमाइश पूरी न करना भारी पड़ गया. दरअसल, अंबिकापुर शहर से लगे ग्राम असोला में एक गरीब पिता (Poor Father) को अपने बेटे के लिए जूता नहीं खरीदना महंगा पड़ गया. जिसके बाद बच्चे ने गुस्से में आकर फांसी लगाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है. 

यह पूरा मामला अंबिकापुर कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम असोला के बरगाहपारा का बताया जा रहा है. जहां 8 वीं क्लास में पढ़ने वाले 12 वर्षीय रवि बरगाह के एक पांव का जूता फट गया था. जिससे उसे स्कूल जाने में परेशानी हो रही थी. इसके लिए वह पिछले 2 दिन से अपने पिता से जूता खरीदने के लिए बोल रहा था, लेकिन रवि के पिता विनोद बरगाह के पास पैसे नहीं होने के कारण जूते बाद में खरीदने की बात कह कर टाला जा रहा था. जिसके बाद रवि अपनी मां से जूता खरीदने के लिए जिद कर रहा था, लेकिन उसे जूता नहीं मिला. इसी दौरान अचानक वह गुस्से में आया और घर से दौड़कर बाहर चला गया. जिसके बाद रवि ने अपने घर से कुछ ही दूर चाचा के घर में जाकर उसने फांसी लगा ली.

Advertisement

पिता मजदूरी कर चलाता है परिवार

मृतक रवि बरगाह के पिता विनोद बरगाह दिहाड़ी मजदूरी का करते हैं. वे इसी के माध्यम से अपने परिवार का पालन-पोषण किया करते हैं. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह अपने बेटे के लिए जूता नहीं खरीद पा रहा थे.

Advertisement

ये भी पढ़ें - चाचा को 13 साल से नहीं मिली पेंशन तो 'गांधीगिरी' पर उतरा भतीजा, कपड़े उतारकर दिया धरना

Advertisement

ये भी पढ़ें - 'भारत दर्शन यात्रा' पर पैदल निकला बिहार का 23 वर्षीय युवा, सद्भावना और भाईचारे का दे रहा है संदेश