Misbehavior with education officer in school in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक निजी स्कूल की जांच में पहुंचे जिला शिक्षा अधिकारी और उनके दल पर अंडा फेंके जाने का मामला सामने आया है. स्कूल प्रबंधन की बार-बार शिकायत के बाद अधिकारी अपने दल के साथ जांच में पहुंचे हुए थे. इस दौरान प्रबंधन ने स्कूल का दरवाजा बंद कर दिया और अंडा फेंककर रोकने की कोशिश की. अंत मे अधिकारी और उनके दल को बेरंग लौटना पड़ा.
जांच के लिए पहुंचे अधिकारियों पर फेंका गया अंडा
दरअसल, पूरा मामला कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर स्थित माइल स्टोन स्कूल का है. शुक्रवार को जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पटेल, बीईओ, अन्य अधिकारी और पुलिस जवान स्कूल की जांच में पहुंचे हुए थे. पहुंचते ही दल ने देखा स्कूल का मुख्य दरवाजा बंद था. जिसे खुलवाने का प्रयास किया गया, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने दरवाजा नहीं खोला . इसके बाद अधिकारी और अन्य कर्मचारियों पर पहले अंडे फेंके फिर पानी फेका. दल थोड़ी देर के लिए आश्चर्यचकित रह गया कि आखिर स्कूल प्रबंधन इस तरह का कार्य क्यों कर रहा है? कुछ देर रुकने के बाद अंत में टीम को बेरंग वापस लौटना पड़ा.
तीन बार बेरंग लौट चुकी है जांच टीम
जानकारी के अनुसार, निजी स्कूल की लगातार आ रही शिकायत के बाद विभाग की तरफ से टीम का गठन किया गया है. अब तक टीम तीन बार जांच के लिए पहुंच चुकी है, लेकिन जांच दल को तीनों बार असफलता ही हाथ लगी. स्कूल प्रबंधन कुछ न कुछ कार्य करके दल को जांच से रोकने का प्रयास करते आ रही है. इस बार भी ठीक वैसा ही हुआ.
ये है स्कूल की शिकायत, जिसकी जांच में पहुंची थी टीम
जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार पटेल का कहना है कि भानुप्रतापपुर के माइन स्टोन स्कूल के खिलाफ वार्डवासियों और पालक से लगातार शिकायते आ रही है. स्कूल में सुविधा नहीं होने से परिजन अपने बच्चो को दूसरे स्कूल में पढ़ाना चाहते है, लेकिन स्कूल संचालिका जबरदस्ती करते हुए बच्चों को टीसी नहीं दे रही है.
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि परिजनों ने स्थानीय प्रशासन से स्कूल की शिकायत की थी. जिसकी जांच एसडीएम ने भी की. जांच के बाद जिला शिक्षा अधिकारी को आगे की कार्रवाई के लिए भेजा गया. दरअसल, स्कूल संचालन की कुछ शर्तें होती है, उन शर्तों के तहत हम परीक्षण एवं बच्चों की सूची प्राप्त करने आये थे, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उन्हें रोकने का प्रयास करते हुए अंडे फेंके.
आगे की कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब बस उनकी मान्यता समाप्त हो जाएगी, बच्चों का चिन्हांकन कराकर नजदीक के शासकीय स्कूल, जहां बच्चों के परिजन चाहेंगे उन्हें वहां दाखिला दिया जाएगा.
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