Conversion Case: बेटे की मौत के बाद माता-पिता कर रहे हैं दफन शव को कब्र से बाहर निकालने की मांग

Conversion Case: जहां एक ओर मृतक के परिवारजन हिंदू रीति से अंतिम संस्कार की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मृतक की पत्नी और ईसाई समाज इसे अस्वीकार कर रहे हैं. पुलिस और प्रशासन इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं. पुलिस व प्रशासन इसे संवेदनशील मुद्दा मानकर कार्रवाई कर रहे हैं. समाज और परिवार के बीच समाधान निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस संवेदनशील मामले में सामंजस्य स्थापित किया जा सके.

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Religious Conversion in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के जशपुर में धर्मांतरण का एक ऐसा मामला सामने आया है जो आपको झकझोर कर रख देगा. यहां एक ईसाई धर्म को अपना चुके शख्स की मौत के बाद उसके परिजन हिन्दू धर्म (Hindu Dharma) के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए कब्र खोदकर शव सुपुर्द करने की मांग कर रहे हैं. ये मामला जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड के खड़कोना गांव का है. खड़कोना में भुइंहर समाज के आदिवासी (Tribal) युवक राजेंद्र चौराट के शव को कब्र से निकालकर हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने की मांग की गई है. राजेंद्र चौराट की मृत्यु 13 अगस्त को आकाशीय बिजली गिरने से हो गई थी और उसका शव ईसाई समाज की रीति से दफनाया गया था.

पत्नी ने क्या कहा?

मृतक की पत्नी का दावा है कि उनके पति ने ईसाई धर्म अपना लिया था, इसलिए उन्हें उसी धार्मिक रीति से दफनाया गया. हालांकि मृतक के माता-पिता और बहन इस फैसले से असहमत हैं. उनका कहना है कि राजेंद्र का धर्मांतरण अवैध तरीके से कराया गया था और उन्होंने आस्ता थाने में आवेदन देकर शव को वापस देने की मांग की है ताकि हिंदू परंपराओं के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया जा सके.

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इस घटना के बाद भुइंहर समाज और स्थानीय आदिवासी नेताओं ने भी धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाई है. उनका कहना है कि राजेंद्र का धर्मांतरण गैरकानूनी तरीके से कराया गया था, जो समाज और उसकी परंपराओं के खिलाफ है. इस मांग के पीछे उनका तर्क है कि मृतक के पारंपरिक रीति-रिवाजों से ही अंतिम संस्कार होना चाहिए.

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अब दो पक्षों के अपने-अपने तर्क 

जहां एक ओर मृतक के परिवारजन हिंदू रीति से अंतिम संस्कार की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मृतक की पत्नी और ईसाई समाज इसे अस्वीकार कर रहे हैं. पुलिस और प्रशासन इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं. पुलिस व प्रशासन इसे संवेदनशील मुद्दा मानकर कार्रवाई कर रहे हैं. समाज और परिवार के बीच समाधान निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस संवेदनशील मामले में सामंजस्य स्थापित किया जा सके.

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