Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सिर्फ कक्षा पहली में प्रवेश का निर्णय लिया गया है. शिक्षा विभाग के इस फैसले पर छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने जताई आपत्ति जताई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने इसके लिए एक बयान भी जारी किया है. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?
बिंदुवार जानकारी दी
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून में कक्षा पहली में प्रवेश देने का आदेश जारी हुआ है. यह आदेश शिक्षा के अधिकार कानून के उद्देश्यों के खिलाफ है.छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने बिंदुवार जानकारी दी है.
बाल्यावस्था की शिक्षा (3–6 वर्ष) सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है, जहां भाषा, व्यवहार और सीखने की नींव रखी जाती है.आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग के बच्चे निजी स्कूलों में नर्सरी से पढ़ाई जारी रखेंगे, जबकि गरीब बच्चे सीधे कक्षा 1 में प्रवेश लेकर शैक्षणिक असमानता के शिकार होंगे.
एसोशिएशन का कहना है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21-A (शिक्षा का अधिकार) की भावना के विपरीत है.राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी Foundational Education (3–8 वर्ष) को अत्यंत आवश्यक मानती है.यह निर्णय बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ाएगा और ड्रॉप-आउट की संभावना को बढ़ावा देगा.
इनका कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा RTE के तहत नर्सरी/एलकेजी/यूकेजी में प्रवेश समाप्त करना गरीब और वंचित बच्चों को पीछे धकेलने जैसा है.RTE का उद्देश्य समान अवसर देना है, न कि असमानता बढ़ाना.नर्सरी से प्रवेश बंद करना गरीब बच्चों के शैक्षणिक भविष्य पर कुठाराघात है.छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन इस निर्णय का विरोध करता है .