
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया (Koriya) जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बद से बदतर है. नगर पालिका क्षेत्र शिवपुर चरचा (Charcha Primary Health Center) की करीब 25 हजार आबादी के इलाज की जिम्मेदारी सिर्फ 2 नर्स पर है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या दशा है.
2 नर्स के भरोसे 25 हजार आबादी का इलाज
दरअसल, छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के नगर पालिका क्षेत्र शिवपुर चरचा के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दो नर्स स्टाफ के भरोसे चल रहा है. स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी डॉक्टर नहीं हैं. वहीं मरीजों को भी इलाज के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कोविड महामारी के दौरान इस केंद्र पर स्वास्थ्य विभाग ने एक डॉक्टर व स्टाफ को पदस्थ किया था, लेकिन कुछ महीने बाद स्टाफ को यहां से हटा दिया गया. अस्पताल में सिर्फ दो नर्स व्यवस्थाएं संभाल रही हैं.
डॉ आर एस सेंगर, सीएमएचओ
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि चरचा में पर्याप्त सेटअप नहीं होने और भवन अधूरा होने के कारण डॉक्टर की पदस्थापना नहीं की जा रही है. इधर, जिला अस्पताल में भी डॉक्टर और स्टाफ की कमी बनी हुई है. ऐसे में डॉक्टर स्टाफ की नियुक्ति को लेकर बड़ी समस्या है.
इलाज के लिए लोगों को यहां वहां भटकना पड़ रहा
बता दें कि शिवपुर चरचा नगर पालिका क्षेत्र है. यहां एसईसीएल की कोयला खदानें भी संचालित हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने से करीब 25 हजार आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नगर सहित आसपास के गांवों के ग्रामीण यहां इलाज के लिए आते हैं, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है और मरीज को मजबूरी में इलाज के लिए निजी क्लिनिक में जाना पड़ रहा है.
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इस मौसम में कई तरह की बीमारियों से परेशान लोग
वहीं इन दिनों मौसम में उतार चढ़ाव की वजह से सर्दी, खांसी, बुखार, हाथ पैर दर्द, जी घबराना जैसी बीमारियां लोगों में देखने को मिल रही है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी डॉक्टर की नहीं है नियुक्त
चरचा कॉलरी से बैकुंठपुर जिला अस्पताल की दूरी 12 किमी है. जहां जाने-आने में ऑटो में 40 से 50 रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं. यात्री बसों से आने जाने में भी दिक्कत होती है. ऐसे में शहरवासी लंबे समय से अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति करने के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं. पहले एक डॉक्टर अपनी सेवाएं देते थे, लेकिन वर्तमान में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी डॉक्टर नियुक्त नहीं है.
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शहरवासियों का कहना है कि अक्सर दुर्घटनाओं के केस में प्राथमिक उपचार किसी संजीवनी से कम नहीं होता है, लेकिन चरचा कॉलरी में मरीज को या तो एसईसीएल के रीजनल अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है या फिर 12 किमी दूर जिला अस्पताल जाना पड़ता है. वहीं जिले में डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ की कमी को लेकर अफसर चुप्पी साधे रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि शासन स्तर पर नियुक्ति नहीं हो रही है इसलिए परेशानी है.
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