Sand Mafia: गरियाबंद में PM आवास के नाम पर रेत निकाल रहे हैं माफिया! ऐसे चल रहा है अवैध रेत का कारोबार

Illegal Sand Mining: जहां एक ओर गरीब परिवार अपने अधूरे मकानों के लिए सीमेंट-सरिया के पैसे जोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ रसूखदार ‘प्रधानमंत्री आवास' का नाम लेकर नदियों की छाती चीर रहे हैं. बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन वाकई कार्रवाई करेगा, या यह रेत का कारोबार इसी तरह चलता रहेगा?

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Sand Mafia: रेत खनन का अवैध कारोबार

Illegal Sand Business in Gariaband: प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) गरीबों को सिर पर छत देने की मंशा से शुरू की गई थी, लेकिन यही योजना अब गरियाबंद जिले में रेत माफियाओं के लिए 'वैध चोरी' का नया हथियार बन गई है. आंकड़े बयां कर रहे हैं कि जिले में महज 46 प्रधानमंत्री आवास निर्माणाधीन हैं, लेकिन रेत की ढुलाई में लगे ट्रैक्टर हर दिन सैकड़ों ट्रिप लगा रहे हैं. ये रेत ‘पीएम आवास' के नाम पर निकाली जा रही है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

नगर पालिका के मुताबिक लगभग 95 प्रतिशत यानी 771 में से 725 आवास पहले ही बन चुके हैं. बचे 46 घरों के लिए अधिकतम 184 ट्रिप रेत की जरूरत है, लेकिन हकीकत यह है कि रोज़ाना 100 से ज्यादा ट्रिप रेत नगर और आसपास में खपाई जा रही है. यही हाल मालगांव में भी है, जहां लगभग 65 प्रतिशत कार्य याने 80 में से 49 मकान बन चुके हैं और बचे हुए 31 के लिए महज़ 124 ट्रिप रेत चाहिए, पर खपत इसका कई गुना अधिक है.

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कृषि ट्रैक्टर से रेत की ढुलाई- RTO की चुप्पी चौंकाने वाली!

अवैध कारोबार में इस्तेमाल हो रहे अधिकांश ट्रैक्टर किसानों के नाम पर खरीदे गए हैं, जिनके पीछे कृषि लोन की सब्सिडी की कहानी है. पर अब यही ट्रैक्टर रेत-मुरुम सप्लाई में लगे हैं. नियमों के अनुसार ऐसा करना गैरकानूनी है और 1 लाख रुपये तक का चालान बनता है, लेकिन कार्रवाई न के बराबर हो रही है.

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NDTV से बातचीत में आरटीओ अधिकारी रविंद्र ठाकुर ने बस इतना कहा कि "संयुक्त कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है." जबकि जमीन पर हालात जस के तस हैं.

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CMO और खनिज अधिकारी की चिंता, पर कार्रवाई का इंतजार

नगर पालिका के CMO गिरीश कुमार ने NDTV से कहा, “95% पीएम आवास पूर्ण हो चुके हैं. यदि बचे हुए 5% कार्य के नाम पर रेत ढुलाई हो रही है, तो वह सरासर गलत है.” उन्होंने स्पष्ट किया कि अब हर ट्रैक्टर की जांच होनी चाहिए कि वह किस लाभार्थी के लिए रेत ले जा रहा है.

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खनिज अधिकारी रोहित साहू ने भी अवैध रेत परिवहन की पुष्टि करते हुए कहा कि "जानकारी मिल चुकी है, कार्रवाई जल्द की जाएगी." लेकिन पहले भी कई बार ऐसी 'सूचनात्मक कार्रवाई' की बात कही गई, जिनका नतीजा कभी जनता के सामने नहीं आया.

रेत से कमाई, नदी-नालों का विनाश

400-500 रुपये में मिलने वाली रेत नगर में 1000-1200 रुपये में बेची जा रही है. इस अवैध धंधे से न तो शासन को राजस्व मिल रहा है, न ही ग्रामीणों को राहत. डोंगरीगांव, सढौली, नाहरगांव जैसे इलाकों की नदियों से रेत निकालकर उन्हें बर्बाद किया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि टूटी सड़कें, उड़ती धूल और घटता जलस्तर अब रोज़ की समस्या बन चुकी है.

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