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सुपेबेड़ा जल प्रदाय योजना के लिए PHE विभाग और NIT रायपुर ने किया सर्वे, तेल नदी की जुटाई जानकारी

Water Supply Scheme in Gariaband: करीब 8 करोड़ 45 लाख रुपये की लागत से बन रही सुपेबेड़ा सामूहिक जल प्रदाय योजना के तहत 9 गांवों के 2074 घरों तक रोजाना पीने का साफ पानी पहुंचाया जाएगा. योजना के तहत 10 लाख लीटर पानी फिल्टर करने की क्षमता वाले प्लांट को दोगुना मात्रा में पानी की सप्लाई 12 माह करना है.

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सुपेबेड़ा जल प्रदाय योजना के लिए PHE विभाग और NIT रायपुर ने किया सर्वे, तेल नदी की जुटाई जानकारी
NIT की टीम ने योजना से संबंधित हर पहलुओं की जानकारी ली.

Supabeda Water Supply Scheme: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद (Gariaband) में सुपेबेड़ा सामूहिक जल प्रदाय योजना (Supabeda Collective Water Supply Scheme) को शुरू करने के लिए पीएचई विभाग (PHE Department) ने तैयारियां शुरू कर दी है. इस योजना की प्लानिंग के लिए शुक्रवार को पीएचई विभाग के ईई पंकज जैन एनआईटी रायपुर (NIT Raipur) की टीम लेकर तेल नदी पहुंचे. जहां टीम को लीड कर रहे एनआईटी के प्रोफेसर डॉक्टर मणिकांत वर्मा और डॉक्टर इस्तियाक अहमद ने तेल नदी का 3 घंटे तक मुआयना किया. इस दौरान सिंचाई विभाग के अफसरों से नदी (Tel River) के स्वभाव, सतही जल, बरसात के अलावा अन्य सीजन में नदी के बहाव की विस्तृत जानकारी ली. इसके साथ ही नदी पर बनी पिछली योजनाओं और उनकी सफलता पर भी कई सवाल-जवाब किए. टीम ने उस स्थान को भी देखा जहां योजना के तहत इंटेक व्हेल बनाया जाना है.

बता दें कि करीब 8 करोड़ 45 लाख रुपये की लागत से बन रही इस योजना के तहत 9 गांवों के 2074 घरों तक रोजाना पीने का साफ पानी पहुंचाया जाएगा. योजना के तहत 10 लाख लीटर पानी फिल्टर करने की क्षमता वाले प्लांट को दोगुना मात्रा में पानी की सप्लाई 12 माह करना है. 

ज्यादातर योजनाएं रही फेल

दरअसल, इस नदी पर बनी ज्यादातर सिंचाई योजनाएं फेल रही हैं, वहीं जल प्रदाय योजना के लिए नदी के बहाव को रोकने के लिए बनाए गए एनिकट वाल का ऊपरी हिस्सा भी योजना शुरू होने से पहले ही टूट गया. ऐसे में पीएचई विभाग अपनी योजना की सफलता से पहले कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है. हालांकि, विभाग के अफसर इस विषय पर खुलकर बात नहीं कर रहे.

तेल नदी में बनी ज्यादातर योजनाएं असफल रही हैं.

तेल नदी में बनी ज्यादातर योजनाएं असफल रही हैं.

गांव वालों से भी ली जानकारी

पीएचई विभाग और एनआईटी की टीम ने गांव में जाकर ग्रामीणों से नदी से जुड़ी कई जानकारियां जुटाई. इस दौरान टीम ने बहाव के नेचर और पानी की उपयोगिता को लेकर हर उस सवाल का जवाब जाना जो पर्याप्त पेयजल उपलब्धता को लेकर जरूरी है. इसके साथ ही टीम ने सुपेबेड़ा में निर्माणाधीन वाटर फिल्टर प्लांट पर भी जाकर आवश्यक डेटा कलेक्ट किया. वहीं इस योजना को लेकर पीएचई विभाग के ईई पंकज जैन ने कहा कि अभी टीम ने प्रारंभिक जानकारी जुटाई है. जीवन से जुड़ी इस योजना को लागू करने से पहले इसे सफल बनाने के लिए हर मुमकिन प्रयास की यह एक कड़ी है.

उन्होंने कहा कि योजना के लंबे समय तक चलने के लिए सारी परिस्थिति योजना के अनुकूल होना जरूरी है. इसलिए एनआईटी की मदद ली गई है. टीम ने अभी तक जो भी देखा उसे उपयुक्त बताया है. जल की उपलब्धता बारहों मास बनी रहे इस पर भी वे अपनी शोध के बाद रिपोर्ट जल्द दे देंगे.

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