First Roti for Cow: रायपुर का अनोखा स्कूल, यहां स्टूडेंट टिफिन में लाते हैं गाय के लिए एक्स्ट्रा रोटी

Pehli aur Akhiri Roti: स्कूल के संचालक मुकेश शाह बताते हैं कि भारतीय पंरपरा (Indian Tradition) है कि हम घर में बनने वाली पहली रोटी गाय और अंतिम रोटी कुत्ते को खिलाते हैं. कई पैरेंट्स कहते थे कि शहरी इलाकों में रोटी खिलाने के लिए गाय मिलनी मुश्किल है. इसके बाद ही हमने सत्र 2023-24 में 31 सितंबर से यह पहल शुरू की.

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Gau Mata Ki Roti: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) का एक स्कूल (School) इन दिनों चर्चा में है. रायपुर के पुरानी बस्ती इलाके में संचालित वीर छत्रपति शिवाजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल की चर्चा रोटी की वजह से हो रही है. यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट (School Student) अपने लंच बॉक्स (Lunch Box) में एक रोटी (Roti) एक्स्ट्रा लेकर आते हैं. इस एक्स्ट्रा रोटी लाने को संस्कार और परंपरा से जोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है. साथ ही इसे एक बेहतर पहल के रूप में भी देखा जा रहा है. देखिए NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट... 

Gau Mata Ki Roti: एक रोटी गाय के नाम

स्कूल गेट के पास ही हैं दो दान पेटी

रायपुर के वीर छत्रपति शिवाजी स्कूल में एंट्री गेट के पास ही 2 दान पेटी रखी हैं, जिसमें 'एक रोटी गाय के लिए' लिखा है. स्कूली की बाउंड्री के अंदरुनी हिस्से में भी गाय की तस्वीर के साथ यही मैसेज लिखा है.

स्कूल में प्रवेश के समय ही बच्चे टिफिन से एक रोटी निकालते हैं और बॉक्स में डाल देते हैं. इसके बाद अपनी-अपनी कक्षा में प्रवेश करते हैं.

दो पालियों में संचालित स्कूल में रोटियां इकट्ठा होने के बाद शाम को उसे रायपुर के ही दूधाधारी मठ के गोशाला (Goshala) में भेजा जाता है. शाम को यही रोटियां गाय को खिलाई जाती हैं.

एक साल पहले शुरू हुई पहल

स्कूल के संचालक मुकेश शाह बताते हैं कि भारतीय पंरपरा (Indian Tradition) है कि हम घर में बनने वाली पहली रोटी गाय और अंतिम रोटी कुत्ते को खिलाते हैं. कई पैरेंट्स कहते थे कि शहरी इलाकों में रोटी खिलाने के लिए गाय मिलनी मुश्किल है. इसके बाद ही हमने सत्र 2023-24 में 31 सितंबर से यह पहल शुरू की. हमने पालकों को संदेश भिजवाया कि अगर कोई घर की पहली रोटी गाय को खिलाना चाहता है तो अपने बच्चे के साथ भेज दे. हम उसे गौशाला में भेजेंगे.

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इस पहल का अभिभावाकों ने समर्थन किया और स्वेच्छा से अपने बच्चों के टिफिन में एक रोटी अलग से गाय के लिए रखकर भेजने लगे. दोनों पालियों में करीब 700 बच्चे पढ़ते हैं, रोज इतनी ही रोटी इकट्ठा हो जाती है. 

बच्चों को समाज सेवा से भी जोड़ रहे हैं

स्कूल संचालक मुकेश ने बताया कि स्कूल के विद्यार्थियों को समय-समय पर वृद्धा आश्रम, बाल आश्रम का भ्रमण करवाया जाता है. रक्षा बंधन के दिन स्कूल की छात्राएं बाल आश्रम जाती हैं और वहां बच्चों को राखी बांधती हैं. ताकि अनाथ या अकेले रह रहे बच्चों को परिवार का एहसास हो सके. वृद्धा आश्रम में भी समय-समय पर भोजन व कपड़ों की व्यवस्था स्कूल द्वारा की जाती है.

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