Koriya News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया जिले के खरीदी केंद्रों (Procurement Centers) पर लगभग तीन लाख 17 हजार क्विंटल धान (Paddy) खुले में पड़ा है. इसका समय पर उठाव नहीं होने से तेज धूप और बेमौसम बारिश (Bad Weather) से धान को नुकसान हो रहा है. वहीं, केंद्रों पर चूहे भी धान को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे जिला सहकारी विक्रेता कर्मियों (District Cooperative Vendor Personnel) की परेशानी फिर बढ़ने वाली है. खरीदी बंद हुए दो महीने बीत चुके हैं पर जिले के 22 केंद्रों में से अधिकांश में धान रखा है.
40 दिन से भी ज्यादा हो गए, कोई एक्शन नहीं
खरीदी बंद होने के 45 दिन बाद भी इन केंद्रों में खरीदा गया 66.39 प्रतिशत धान खुले में रखा हुआ है. मौसम की मार, धूप, गर्मी और बेमौसम बरसात के बाद भी विपणन संघ और जिला सहकारी विक्रेता कर्मियों से उतने ही धान की मांग करता है, जितनी डेढ़ महीने पहले खरीदा था. खरीदी बंद हुए दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन जिले के 22 विक्रय केंद्रों में से ज्यादातर में धान अभी भी रखा हुआ है. खरीदी के समय केंद्र प्रभारियों को अधिकतम 17 प्रतिशत फसल में नमी की मात्रा होनी चाहिए. तेज धूप और गर्मी से फसलों में जरूरी नमी 17 प्रतिशत से घटकर 14 से 15 तक पहुंच जाती है. इससे प्रति बोरी 1 से डेढ़ किलो तक वजन में कमी आती है. वहीं, बेमौसम बारिश से पानी पड़ने पर धान अंकुरित होने का डर रहता है.
उठाव कराने के प्रयास में जुटे है : डीएमओ
इन विक्रय केंद्रों से उठाव न होने का मुख्य कारण जिले में संग्रहण केंद्र की कमी है. केंद्रों का धान सीधे मिलरों को दिया जाता है. मामले में जिले के डीएमओ बुद्धिमान टेकाम ने कहा कि जल्द से जल्द उठाव हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं. मामले पर जल्द कोई एक्शन लिया जाएगा.
फिर बन रहे बारिश के आसार
वहीं, दूसरी तरफ जिले में मौसम विभाग ने बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है. जिले में गर्मी बढ़ने के साथ फिर बारिश हो सकती है. बारिश और तेज धूप से खुले में रखे धान को और अधिक नुकसान हो सकता है.
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प्रबंधकों ने कहा- उठाव नहीं हुआ है, शॉर्टेज के जिम्मेदार वे नहीं होंगे
समिति प्रबंधकों का कहना है कि धान रखने के लिए दी गई बोरी का वजन आधा किलो रहता है, लेकिन, धान उठाते समय बोरी का वजन 650 ग्राम काट लिया जाता है. यानी प्रति बोरी 150 ग्राम का नुकसान केंद्र प्रभारी को होता है. संघ के अध्यक्ष अजय साहू समेत अन्य समिति प्रबंधकों ने पहले भी शासन-प्रशासन को पत्र सौंपकर धान उठाव करने की मांग की थी. नियमों के तहत खरीदी 72 घंटे के भीतर हो जानी चाहिए थी. प्रबंधकों का कहना है कि धान उठाव नहीं हुआ है, ऐसे में अगर शॉर्टेज होता है तो इसके जिम्मेदार वे नहीं होंगे.
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