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NDTV Conclave 2025: ...जब नक्सलियों से पहली बार हुआ रमन सिंह का सामना, एक घंटे तक होती रही गोलीबारी, ग्रामीणों ने बचाया

NDTV Chhattisgarh Conclave 2025: छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने एनडीटीवी कॉन्क्लेव में छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद से ग्रसित दौर को याद किया. उन्होंने बताया कि उस समय गोलीबारी की घटनाएं आम थीं और उन्होंने खुद एक ऐसी घटना का अनुभव किया था जब वह गोलीबारी के बीच घिर गए थे.

NDTV Conclave 2025: ...जब नक्सलियों से पहली बार हुआ रमन सिंह का सामना, एक घंटे तक होती रही गोलीबारी, ग्रामीणों ने बचाया
एनडीटीवी कॉन्क्लेव में छत्तीसगढ़ विधानसभा रमन सिंह

NDTV Chhattisgarh Conclave 2025: एनडीटीवी कॉन्क्लेव में पहुंचे छत्तीसगढ़ विधानसभा रमन सिंह ने राज्य के उस दौर को याद किया जो नक्सलवाद से बहुत ज्यादा ग्रसित था. उस समय गोलीबारी की घटना कहीं भी हो जाती थी. उन्होंने अपनी आंखों देखी उस घटना के बारे में भी बताया कि जब वह गोलीबारी के बीच घिर गए थे. उस दौरान सड़क पर अफरा-तफरी थी. उन्हें बचाने के लिए अधिकारी, ग्रामीण और पुलिस आ गई थी. रमन सिंह ने बताया कि वह एक बार अपने लोकसभा क्षेत्र व जिला राजनांदगांव के छुरिया में घूम रहे थे. जब वह छुरिया शहर के अंदर प्रवेश कर रहे थे, तब उन्होंने कुछ लोगों को वर्दी पहने तार बिछाते हुए देखा था. फिर वहां के तत्कालीन विधायक से पूछा कि यहां बड़ी संख्या में पुलिस क्यों हैं? तब विधायक ने बताया कि आप आए हैं तो पुलिस के लोग ज्यादा हैं. इस दौरान उन्होंने एक बस देखी, जिसे सड़क पर क्रॉस करके खड़ा किया गया था. उस दिन हल्की बारिश हो रही थी.

अचनाक चलने लगीं गोलियां

रमन सिंह ने आगे बताया कि जब वह बस को क्रॉस करके छुरिया शहर के अंदर प्रवेश किए, तभी थोड़ी दूर थाने की तरफ गोलियां चलने लगीं. विधायक से पूछा तो बताया कि आपकी खुशी में पटाखे फूट रहे हैं.

ग्रामीण बचाकर अधिकारी के घर ले गए

उन्होंने बताया कि तभी 100 से ज्यादा ग्रामीण उनकी तरफ दौड़ते हुए आए और कार से निकाल कर अधिकारी के घर पर ले गए. वहां एक घंटे तक फायरिंग होती रही. उन्होंने बताया कि फायरिंग बंद होने के बाद वह पहले ऐसे व्यक्ति थे, जो तुरंत छुरिया थाने पहुंचे.

उन्होंने बताया कि सब इंस्पेक्टर और दो जवान बच गए थे. उन्होंने लगातार फायरिंग करते हुए थाने को बचा लिए और एक नक्सली मारा गया था.

सड़क पर लोग भागते दिखे

रमन सिंह ने बताया कि वह घटना उन्हें आज भी याद है. उस समय सड़क के इस तरफ और उस तरफ भागते देखा. तब छत्तीसगढ़ में ऐसा दौर था कि ऐसी घटनाएं कभी हो सकती थीं.

कांग्रेस चाहती तो खत्म हो सकता था नक्सलवाद

दिल्ली में कांग्रेस सरकार थी, तब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी. उस समय की कांग्रेस की केंद्र सरकार ने 10 साल खराब कर दिए. अगर तबकी सरकार में नीति बनाने और फैसले लेने की क्षमता होती तो नक्सलवाद छत्तीसगढ़ से बहुत पहले खत्म हो गया होता.

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