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सुकमा में नक्सलियों का खूनी खेल, दो ग्रामीणों को उतारा मौत के घाट, इलाके में दहशत

Sukma Naxalites Killed Villager: नक्सलियों ने दो ग्रामीणों को उतारा मौत के घाट दिया. पुलिस मुखबिरी के आरोप में ग्रामीणों की गला रेत कर हत्या. 

सुकमा में नक्सलियों का खूनी खेल, दो ग्रामीणों को उतारा मौत के घाट, इलाके में दहशत

Sukma Naxalites: छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर एक बार फिर नक्सली हिंसा से दहल गया. पुलिस मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने सुकमा जिले के केरलापाल थाना क्षेत्र के सिरसट्टी पंचायत में दो ग्रामीणों को सरेआम गला रेतकर मौत के घाट उतार दिया. इस घटना से इलाके में दहशत फैल गई है. इसके अलावा अन्य दो ग्रामीणों की बेरहमी से पिटाई की गई. नक्सलियों ने सोमवार-मंगलवार की देर रात इस घटना को अंजाम दिया. 

सुकमा में नक्सलियों ने दो ग्रामीणों को उतारा मौत के घाट

दक्षिण बस्तर एक बार फिर नक्सली हिंसा से दहल गया. पुलिस मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने सुकमा जिले के केरलापाल थाना क्षेत्र के सिरसट्टी पंचायत में दो ग्रामीणों को सरेआम गला रेतकर मौत के घाट उतार दिया. वारदात के बाद गांव में खौफ का सन्नाटा है. जानकारी के मुताबिक, सोमवार देर रात नक्सली सिरसट्टी पंचायत के नंदापारा पहुंचे. उन्होंने ग्रामीण देवेन्द्र पदामी और पोज्जा पदामी को घर से उठाया और गांव से दूर जंगल में ले आए. यहां उन पर देर रात मोबाइल का इस्तेमाल कर पुलिस तक खबर पहुंचाने का आरोप लगाया गया. इसके बाद दोनों की गला रेतकर हत्या कर दी गई.

मुखबिर होने के शक में दो ग्रामीणों को जमकर पीटा

वहीं नक्सलियों ने दो अन्य ग्रामीणों को भी मुखबिर होने के शक में जमकर पीटा. दोनों के पैरों और पीठ में गंभीर चोटें आई हैं. सुकमा सीडीओपी परमेश्वर तिलकवार ने बताया कि ग्रामीणों से सूचना मिली है. इस मामले की जांच की जा रही है. 

कॉल रिकॉर्ड जांच कर रहे नक्सली

सूत्रों के मुताबिक, नक्सली अब मोबाइल फोन को संदेह की नजर से देख रहे हैं. कई इलाकों में वे ग्रामीणों के मोबाइल जब्त कर कॉल रिकार्ड खंगालते हैं. उसके बाद जिन्हें शक के दायरे में पाते हैं, उन पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर मौत की सजा सुनाते हैं. 

सिरसट्टी पंचायत के दोनों ग्रामीणों पर भी मोबाइल का उपयोग और पुलिस को सूचना देने का आरोप है. बीजापुर के नेशनल पार्क इलाके और अबूझमाड़ में नक्सलियों ने मोबाइल पर बैन भी लगाया है. उनका मानना है कि मोबाइल नेटवर्क और देर रात कॉल के जरिए पुलिस तक मूवमेंट की खबरें पहुंचाई जाती हैं. यही कारण है कि लगातार ग्रामीण और शिक्षादूत नक्सल हिंसा का शिकार हो रहे हैं.

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