Naxal Encounter: नदी-नालों को पार कर जांबाजों ने पूरा किया सबसे बड़ा मिशन, जानिए नक्सलियों के खात्मे की कहानी

Anti Naxal Operation: दंतेवाड़ा मुठभेड़ को छत्तीसगढ़ का अब तब के सबसे बड़े नक्सल एनकाउंटर बताया जा रहा है. इसको लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पर कहा, "हमारी सेना को बड़ी सफलता मिली है. 31 नक्सली मारे गए हैं और इस बार हमारे जवानों ने अपना 29 का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है. आइए जानते हैं इस पूरे मिशन की सक्सेस स्टोरी क्या है?

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Anti Naxal Operation in Chhattisgarh: छत्‍तीसगढ़ के अबूझमाड़ (Abujhmad Naxal Area) क्षेत्र में शुक्रवार 4 अक्टूबर को हुई मुठभेड़ (Naxal Encounter) में सुरक्षा बल को अब तक की सबसे बड़ी सफलता मिली है. बारसूर थाना क्षेत्र के दंतेवाड़ा (Dantewada) और नारायणपुर (Narayanpur) जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के थुलथुली गांव के पास जंगल व पहाड़ी इलाके में जवानों ने 31 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया. ये एंटी नक्सल ऑपरेशन (Anti Naxal Operation) इस वजह से भी खास है क्योंकि ये कि इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पुलिस (Police) व सुरक्षाबलों ने बेहद कठिन परिस्थितियों को चुना. चार अक्टूबर को अमावस की रात थी, जिससे दिक्कत तो हुई, लेकिन मौके पर गुप्त रूप से पहुंचने में इस रात की वजह से मदद मिली. 20 किलोमीटर का रास्ता पैदल नदी-नाले पार कर पहुंचे हमारे जांबाजों ने जिस तरह से नक्सलियों को पस्त किया उसकी तारीफ रायपुर से लेकर दिल्ली तक हो रही है. आइए जानते है इस मिशन की पूरी कहानी.

ऐसा था प्लान

दंतेवाड़ा एसपी (Dantewada SP) गौरव राय ने बताया कि दुलदुली गांव यानी नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों का सीमावर्ती इलाके और इससे लगे जंगल व पहाड़ी क्षेत्र में 35 से 40 नक्सल‍ियों, जिनमें डिविजनल कमेटी सदस्य नक्सली कमलेश व बारसूर एरिया कमेटी की प्रभारी नीति समेत कई बड़े कैडर के नक्सलियों की मौजूदगी का पता इंटेलीजेंस से चला था. इसके बाद दोनों जिलों से संयुक्त ऑपरेशन चलाकर उनकी घेराबंदी करना तय किया गया. दोनों ओर से ही बड़े पुलिस अफसरों को कमान सौंपी गई थी. एक ओर से डीआरजी नारायणपुर व डीआरजी दंतेवाड़ा तो वहीं तोड़मातुला व गुफा की ओर से एसटीएफ (STF) के जवान रवाना हुए थे. डीआरजी दंतेवाड़ा का नेतृत्व आईपीएस एडिशनल एसपी स्मृतिक राजनाला व डीएसपी ऑपरेशंस राहुल उइके तो नारायणपुर डीआरजी का नेतृत्व डीएसपी प्रशांत देवांगन ने किया. नक्सलियों की बड़ी मीटिंग होती है तो स्वाभाविक रूप से, उनके द्वारा सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं और पुलिस व सुरक्षाबलों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जाती है.

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एसपी गौरव के अनुसार, सीक्रेट तरीके से मिशन को अंजाम देने के लिए कठिनाई भरा उपाय सोचा गया. चार अक्टूबर को अमावस की रात थी. ऐसे में देर रात में ही अंधेरे का फायदा उठाकर जवानों को भेजने का निर्णय लिया गया. जंगल, नाले व पहाड़ी वाले रास्ते का चयन कर पैदल ही जवान रवाना हुए.

20 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मंजिल तक पहुंचे

एसपी गौरव के मुताबिक देर रात जब जवान रवाना हुए तो आगे का सफर पैदल ही तय करना था. रास्ता बेहद कठिन था. खासकर बरसात के दिनों में नदी-नाले सब उफान पर हैं. ऐसे में इन रास्तों को पार करते हुए 20 किलोमीटर तक का सफर तय किया गया. इसके बाद दोनों ओर से नक्सलियों की घेराबंदी की गई. अंतत: नक्सलियों को खुद के घिर जाने का पता चला और फायरिंग शुरू कर दी गई. जवाबी फायरिंग में जवानों ने एक के बाद एक कर नक्सलियों को ढेर किया.

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और भी मिल सकते हैं नक्सलियों की बॉडी

एसपी गौरव के मुताबिक 31 शवों की बरामदगी कर ली गई थी. वहीं इलाके में सर्चिंग जारी थी, जिससे और भी नक्सलियों के मारे जाने की भी संभावना है. इसके अलावा कई घायलों को व मृत नक्सलियों को उनके साथियों द्वारा ले जाने की भी संभावना है, जिसके आंकड़े पर कुछ नहीं कहा जा सकता. कुल मिलाकर इसे बस्तर संभाग में अब तक की मिली सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है, जो कि कड़ी चुनौतियों को अपने मिशन में प्लानिंग का हिस्सा बनाने से म‍िल पाई है.

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