New Dawn Of Development: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में बदलाव की बयार बह चली है. नक्सलियों के खिलाफ जारी एंटी नक्सल ऑपरेशन का असर अब लाल आंतक धरती पर अब साफ महसूस की जा रही है. केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त ऑपरेशन ने नक्सलियों को हथियारों छोड़ने और पुनर्वास की ओर मोड़ दिया है.
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28 सक्रिय माओवादी हथियार छोड़कर पौधे हाथ में लिए मुख्यधारा में लौटे
अबूझमाड़ से आई एक तस्वीर में जिले की कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगई गांव की महिलाओं के बीच संवाद करती दिखाई देती हैं, वहीं, दूसरी तस्वीर में 28 सक्रिय माओवादी हथियार छोड़कर पौधे हाथ में लिए मुख्यधारा में लौटते नजर आते हैं. ये दृश्य बताते हैं कि अबूझमाड़ की पहचान अब खून, खौफ और लाल आतंक नहीं बल्कि विकास, शांति और उम्मीद से होगी.
अबूझमाड़ जहां पहुंचने की कल्पना भी खौफनाक थी वहां बदला रंग
नारायणपुर जिला कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगई की जिस तस्वीर ने सभी का ध्यान खींचा, वह सामान्य नहीं है. यह वही इलाका है, जहां कभी नक्सलियों के टॉप लीडर अपनी आतंक फैक्ट्री का संचालन करते थे. यह वही अबूझमाड़ का ग्राम पंचायत जाटलूर है, जहां सुरक्षा बलों ने नक्सल संगठन के महासचिव बसवराजू को एक चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन में ढेर किया था.
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2.28 लाख के इनामी माओवादियों ने हथियार छोड़कर थामे पौधे
दूसरी तस्वीर नारायणपुर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय की है, जहां एक ऐतिहासिक दृश्य दर्ज हुआ. दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, माड़ डिवीजन और कुतुल LOS से जुड़े कुल 28 माओवादी, जिन पर कुल मिलाकर 89 लाख रुपए का इनाम घोषित था, उन्होंने बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी के सामने हथियार डाल दिए. बंदूक छोड़ते समय उनके हाथों में पौधे थे,जो अबूझमाड़ की नई हरियाली, नई सोच और नए भविष्य का प्रतीक बन गए हैं.
इलाके में सुरक्षा बलों के ऑपरेशन और विकास का दोहरा असर
गौरतलब है अबूझमाड़ के दुर्गम जंगलों में सुरक्षा बलों के लगातार सफल और सटीक ऑपरेशनों ने नक्सली तंत्र को झटका दिया है. एक ोर जहां प्रशासन ने ग्रामीण इलाकों की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए त्वरित कदम उठाए हैं, तो दूसरी ओर पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा स्थापित जन-सुरक्षा सुविधा कैम्प ने नक्सलियों के सप्लाई चैन को पूरी तरह तोड़ दिया है.
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परिवर्तन की रीढ़ बनी सरकार द्वारा संचालित ‘नियाद नेल्लानार' योजना
राज्य सरकार द्वारा लागू नियाद नेल्लानार योजना ने अबूझमाड़ में परिवर्तन की ठोस नींव रखी है. इस योजना के तहत नक्सल प्रभावित इलाकों में कैंप स्थापित कर 5 किमी के दायरे में मोबाइल नेटवर्क, सड़क, पुल-पुलिया, बिजली, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित की गई, जिससे नक्सलियों का भ्रमजाल टूट गया.
हकीकत में बदलते दिख रहे छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे के दावे
उल्लेखनीय है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का दावा किया है. अबूझमाड़ में उभरते नए दृश्य उस दावे के धरातली प्रमाण के रूप में सामने आ रहे हैं. आज पुलिस अधिकारी, कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक टीमें उन क्षेत्रों में बेझिझक पहुंच रही हैं, जहां कभी उनका नाम सुनकर भी सिहरन दौड़ जाती थी.
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निःसंदेह बदलते अबूझमाड़ की यह कहानी न सिर्फ सुरक्षा बलों के समर्पण और प्रशासन की रणनीति की सफलता है, बल्कि उन ग्रामीणों की भी जीत है, जिन्होंने भय की जंजीरें तोड़कर आगे बढ़ने का फैसला किया है. अबूझमाड़ अब लाल आतंक की पहचान नहीं, बल्कि शांति, समृद्धि और नई उम्मीद का प्रतीक बन रहा है