Chhattisgarh Samachar : छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ तहसील में इस बार किसानों के बीच एक उलझन पैदा हो गई है. इस असमंजस के पीछे की वजह है MSP ! जिले के किसानों को दिए गए टोकन में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी जाएगी या 15 क्विंटल. जिसके चलते सोशल मीडिया पर भी चर्चाएं गर्म हैं कि इस बार धान खरीदी की सीमा घटाकर 15 क्विंटल कर दी गई है जबकि सरकार ने पहले 21 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदी का वादा किया था. किसानों का कहना है कि पिछले साल चुनाव के दौरान 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी गई थी लेकिन इस साल खरीदी केंद्रों पर 15 क्विंटल प्रति एकड़ की बात कही जा रही है. गांव के किसान रवि शंकर साहू ने बताया कि जब वे टोकन कटवाने गए तो उन्हें सिर्फ 15 क्विंटल धान खरीदी की जानकारी दी गई. उन्होंने इसे सरकार की वादाखिलाफी बताया और कहा कि वे BJP के वादों पर भरोसा कर वोट दिए थे.
नेताओं ने क्या कहा ?
भरतपुर-सोनहत के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने इसे किसानों के साथ अन्याय बताया. उन्होंने कहा कि सरकार ने कागज पर तो 21 क्विंटल धान खरीदी की घोषणा की है लेकिन धरातल पर कई केंद्रों में 15 क्विंटल ही खरीदा जा रहा है. उन्होंने इसे किसानों का अपमान बताते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दी.
जिला अध्यक्ष कह रहे ये
BJP के MCB जिला अध्यक्ष अनिल केसरवानी ने कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि सरकार अपने वादे पर कायम है और इस बार भी 21 क्विंटल धान खरीदी सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा कि यदि किसी अधिकारी ने गड़बड़ी की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
किसानों में नाराज़गी
पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने बारदानों की कमी और कस्टम मिलिंग में देरी को खरीदी प्रक्रिया धीमी होने का मुख्य कारण बताया. किसानों ने भी इस समस्या पर नाराजगी जताई. केंद्रों पर बार-बार पूछने पर भी स्पष्ट जानकारी न मिलने से उनकी परेशानी बढ़ गई है.
सरकार से मदद की दरकार
किसानों का कहना है कि सरकार को स्थिति साफ़ करनी चाहिए. खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और प्रशासनिक समस्याओं को दूर करने की जरूरत है. यदि धान खरीदी की सीमा 21 क्विंटल ही है तो इसे सभी केंद्रों पर लागू किया जाए जिससे उनकी समस्या जल्द से जल्द सुलझ पाए.
ये भी पढ़ें :
** अगर जलाए नहीं तो पराली का करें क्या ? MP के किसानों ने बताया बड़े काम का तरीका