नियम रखते हैं ताक पर... PMO में शिकायत अब पुर्नविकास भूमि मामले में पूर्व IAS के खिलाफ होगी जांच

CG News: आरटीआई एक्टिविस्ट दिनेश सोनी ने इस मामले में वैध दस्तावेजों के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) यानी पीएमओ (PMO) में सीधे इसकी शिकायत की, इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर भारत सरकार के कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच का आदेश दिए हैं.

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CG Land Scam: सरगुजा में भूमाफियाओं (Land Mafia) की पहुंच कहां तक है, इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है. लेकिन इतना तय है कि इनकी जद में पटवारी (Patwari) से लेकर कलेक्टर (Collector) तक आते हैं. ऐसा हम इस लिए कह रहे हैं कि हाल के दिनों में सरगुजा के एक नजूल अधिकारी जो कि अपर कलेक्टर रैंक है से लेकर राजस्व निरीक्षक (Revenue Inspector) तक सरकारी जमीन (Government Land Sell) को बेचने के मामला आरोपी बनाए गए हैं. वहीं अब पुनर्वास की भूमि को बिक्री करने की अनुमति देने के मामले में सरगुजा के पूर्व कलेक्टर संजीव झा (Former Surguja Collector Sanjeev Kumar Jha) के विरुद्ध जांच के आदेश होना कहीं ना कहीं राजस्व विभाग (Revenue Department) की पूरी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगता नजर आ रहा है.

क्या है मामला?

अम्बिकापुर के अधिवक्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI Activist) दिनेश सोनी ने आरटीआई (RTI) के माध्यम से सरगुजा कलेक्टोरेट कार्यालय में वर्ष 2022 में बंगलादेश से आए लोगों की पुनर्वास की भूमि बिक्री (Redevelopment Land Selling Case)  के लिए कलेक्टर सरगुजा के द्वारा दी गई अनुमति की सूची मांगी थी. लेकिन जो जानकारी RTI के माध्यम से उन्होंने प्राप्त हुई वे एक दम चौंकाने वाली थी. उन्होंने ने पाया कि तत्कालीन कलेक्टर संजीव कुमार झा ने लगभग 30 पुनर्वास की फाइलों को निपटाते हुए उन्हें जमीन बिक्री करने की अनुमति दी थी, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन अनुमतियों में सबसे ज्यादा अनुमति एक ही तिथि 22 मई 2022 को दी गई थी जोकि उनके ट्रांसफर से कुछ दिन पहले की तारीख है.

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PMO में हुई शिकायत 

आरटीआई एक्टिविस्ट दिनेश सोनी ने इस मामले में वैध दस्तावेजों के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) यानी पीएमओ (PMO) में सीधे इसकी शिकायत की, इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर भारत सरकार के कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच का आदेश दिए हैं. जिसके बाद अब अम्बिकापुर के भू-माफियाओं में हड़कंप मच गया है. जाहिर है अगर इस मामले की सही सही जांच अगर होती है तो संभवतः छत्तीसगढ़ का अब तक पूनर्वास भूमि का ये सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा. क्योंकि पूर्व सरकार के मंत्री से लेकर नेताओं तक के द्वारा बंगाली पुनर्वास भूमि को फर्जी तरीके से परमिशन लेकर खरीदा गया है.

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क्या है पुनर्वास की भूमि?

पुनर्वास की भूमि क्या होता है. ये आम भूमि से अलग क्यों हैं. ये किसे मिलती है? ये तमाम बातों को पहले आपको समझना होगा, तब आप इसकी गंभीरता को समझ सकते हैं. दरअसल वर्ष 1970- 71 का वह दौर जब आज का बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. पाकिस्तान (Pakistan) से अलग होकर एक अलग देश बंगलादेश बना. स्वाभाविक है नया राष्ट्र बनने के बाद बंगला देश से काफी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी भारत की ओर शरण के लिए आए ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा बांग्लादेशी शरणार्थियों को ना सिर्फ शरण दी गयी, बल्कि उन्हें जीविकाेपार्जन के लिए मैदानी क्षेत्र में उपजाऊ भूमि भी उपलब्ध करायी गयी थी. सरगुजा के भी मैदानी क्षेत्र जिनमें अम्बिकापुर, भगवानपुर, चठीरमा, सरगांव, गांधी नगर सहित एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों एकड़ भूमि इन्हें आबंटित की गयी, जिनमें आज भी बंगलादेशी शरणार्थी रहते हैं और खेती भी करते हैं.

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बहुमूल्य है पुनर्वास की भूमि

छत्तीसगढ़ बनने के बाद अम्बिकापुर शहर काफी रफ्तार से आगे बढ़ता जा रहा है. कभी निगम के 27 वार्ड हुआ करते थे, जो अब 48 हो गए और आने वाले कुछ दिनों में इन वार्डों की संख्या 70 के पार होगी. जाहिर है बसाहहट के अनुसार निगम अपने क्षेत्र को बढ़ाता है ऐसे में जमीनों का मूल्य बढ़ना तय है. इसी कारण बंगाली पुनर्वास की भूमि पर भूमाफियाओं की नजर बनीं रहती है. यही कारण है कि सत्ता की धाक व सिक्कों की खनक से वर्षों से पुनर्वास की भूमि का परमिशन कलेक्ट्रेट से होता रहा है. क्योंकि केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर सिर्फ कलेक्टर को ही इस भूमि की बिक्री का परमिशन देने का अधिकार है.

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