Kanker News: एशिया का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर कांकेर जिले के पत्थरी में स्थापित है. नक्सलगढ़ में स्थापित इस ट्रेनिंग सेंटर का मकसद जवानों को नक्सलियों से लोहा लेने के लिए गुरिल्लावॉर की ट्रेनिंग देना है. यहां से काफी संख्या में आईपीएस अफसर और अन्य जवान ट्रेनिंग लेने पहुंचते है, लेकिन अब इस ट्रेनिंग सेंटर में नक्सल प्रभावित इलाकों के युवा सहित अन्य जिलों के युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है. यहां ट्रेनिंग ले रहे युवा आर्मी, अग्निवीर, पुलिस भर्ती के लिए प्रशिक्षित हो रहे है. छोटी-छोटी चीज़ों का ध्यान रख उन्हें इतना मजबूत किया जा रहा है कि ये भर्ती प्रक्रिया में चयनित होकर देश की सेवा कर सके.
छत्तीसगढ़ में आज भी बहुत से युवाओं को नौकरियों की तलाश है. युवा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा सहित अन्य भर्ती प्रक्रियाओं से गुजर रहे है. लेकिन बेहतर मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण युवा पिछड़ते जा रहे है. आर्थिक तंगी, संसाधनों की कमी इनकी नौकरियों के बीच रोड़ा बनती जा रही है. जिनके जज्बे को बल देने के लिए जंगलवार वॉल्फेयर कॉलेज जवान उन्हें निःशुल्क ट्रेडिंग दे रहे है.
ग्रामीण इलाकों के युवा पुलिस, आर्मी, अग्निवीर जैसे जगहों पर पहुंच कर देश की सेवा करना चाहते है. इनके पास तैयारी करने बेहतर ग्राउंग सहित अन्य संसाधन नहीं है. सुविधा नहीं मिलने के कारण ये बार-बार चूक जा रहे है. जिनके सपनो को साकार करने जंगलवार के जवानों ने उन्हें अपने ही ग्राउंड और संसाधनों का इस्तेमाल कराकर मजबूत बना रहे है.
जंगलवार कॉलेज में पदस्थ डीएसपी अमर सिंह कुर्रे से एनडीटीवी ने जब बात की तो उन्होंने बताया कि जंगलवार कॉलेज में बहुत से जवान ट्रेनिंग के लिए पहुंचते है. बस्तर फाइटर के जवानों ने भी यही से ट्रेनिंग ली. आज वह नक्सलियों से लोहा ले रहे है. जिस दौरान बस्तर फाइटर के जवानों को ट्रेनिंग दी जा रही थी उस दौरान जवानों को आर्थिक परेशानियों से जूझते देखा गया. उन्होंने सोचा कि क्यों ना ऐसे युवाओ को भी ट्रेन किया जाए जो आर्थिक रूप से कमजोरी के कारण भर्ती प्रक्रियाओं से वंचित हो जाते है. कुछ युवा आगे आए और अब लगभग 150 से अधिक ग्रामीण इलाकों के युवा यहाँ पहुंच रहे है.
इन सभी युवाओ को जंगलवार के जवान उन सभी प्रक्रिया से मजबूत बना रहे जो भर्ती प्रक्रिया में ली जाती है. यहां दौड़, लंबी कूद, ऊँची कूद, हाइट, रिटर्न एग्जाम भी लिया जा रहा है. एक-एक युवाओ की कमी को दूर रखने बीते कुछ महीनों से जवान खुद ही सुबह से पहुंच कर उन्हें ट्रेनिंग दे रहे है. उनके दस्तावेजो कि जांच भी की जा रही है. ताकि भर्ती होने पर उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो. हर छोटी-बड़ी चीजो को ध्यान में रखकर उन्हें मजबूत बनाया जा रहा है.
ऐसे दी जाती है ट्रेनिंग
इमलीपारा गांव से पहुंचे युवा अनिल यादव ने बताया कि उन्हें भर्ती प्रक्रिया क्या-क्या होता है इसकी जानकारी नहीं थी. लेकिन यहां जब से पहुंचे हैं तब से वह भर्ती प्रक्रिया की हर चीजो से होकर गुजर रहे हैं. रोजना यहां पहुंच कर वह ट्रेनिंग ले रहे हैं. नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा से पहुंचे युवा अमित कुमार का कहना है उनके पास भर्ती की तैयारी करने ग्राउंड नहीं था. यहां उसी तरह से ट्रेनिंग दी जा रही है. जिस तरह भर्ती प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. जवान अपने खुद के सामानों का इस्तेमाल कर उन्हें ट्रेनिंग देकर तैयार कर रहे है.
‘अब बेहतर प्रशिक्षण मिल रहा है…'
आतुरगांव की युवती का कहना है कि उनके पास प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड नहीं है. सड़क में दौड़ा करती थी.लेकिन अब बेहतर प्रशिक्षण मिल रहा है. उनकी इच्छा है कि वह आर्मी में भर्ती हो. वहीं बिरेश्वरी कुर्रे का कहना है कि उन्होंने और 3 अन्य लोगो ने इसी जंगलवार कॉलेज से निःशुल्क ट्रेडिंग लेकर एसआई भर्ती की परीक्षा दी थी. जिसमें उनका व एक अन्य का सलेक्शन हुआ है. जिसे देकर अन्य युवा भी सामने आ रहे है. जो रोजना यहां पहुंच कर निःशुल्क ट्रेनिंग ले कर दक्ष हो रहे है.
बेहतर ट्रेनिंग मिलने से युवा काफी खुश है. आज उनके पास ग्राउंड है. वह तमाम संसाधन है, जिससे वह प्रशिक्षित हो रहे है. आगे यही युवा पुलिस, आर्मी व अन्य जगहों पर पहुंच कर नक्सलवाद, आतंकवाद का सामना करेंगे.
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