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हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का सबसे बड़ा प्रतीक बनता है गीदम का गणेशोत्सव, यहां 87 सालों से हो रहा आयोजन

Ganeshotsav Geedam: बस्तर के गीदम में 87 सालों से  गणेशोत्सव का पर्व सार्वजनिक मंच पर धूमधाम और पूरे श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस पूरे पर्व के मौके पर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और एकता की सबसे बड़ी मिसाल यहां देखने को मिलती है. सालों पुरानी परंपरा को आज की युवा पीढ़ी भी बखूबी निभा ही है. आइए जानते हैं यहां की खासियत... 

हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का सबसे बड़ा प्रतीक बनता है गीदम का गणेशोत्सव, यहां 87 सालों से हो रहा आयोजन

Ganesh Puja 2025 : छत्तीसगढ़ के बस्तर का एक ऐसा शहर है गीदम, जो हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल कायम करता है. खासकर ये एकता दिखाई देती है गणेशोत्सव के विशेष मौके पर. दरअसल इस शहर में 87 सालों से गणेशोत्सव मनाया जा रहा है और इस परंपरा को आज की युवा पीढ़ी ने भी बरकरार रखा है. 

भव्य रूप से हो रहा है आयोजन

बताया जाता है कि जब पूरा बस्तर एक था, तभी से गीदम नगर अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और आपसी भाईचारे की मिसाल कायम कर रहा है. इसी कड़ी में नगर में 87 वर्षों से गणेश प्रतिमा स्थापना की परंपरा पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ जारी है. इस वर्ष सार्वजनिक गणेशोत्सव समिति, गीदम द्वारा गणेश प्रतिमा स्थापना का गौरवशाली 87वां वर्षगांठ समारोह भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है.

नगर के वरिष्ठ नागरिकों के मुताबिक गणेशोत्सव गीदम की सांस्कृतिक पहचान और गौरव का प्रतीक है. शहर के वरिष्ठ नागरिक विमल सुराना बताते हैं कि गणेशोत्सव के समय गीदम का कला मंच पूरे बस्तर संभाग में प्रसिद्ध था. जगदलपुर, दंतेवाड़ा, बारसूर और अन्य स्थानों से कलाकार यहां प्रस्तुति देने के लिए आते थे.

गणेश समिति के वरिष्ठ सदस्य जयप्रकाश सिंह चौहान, शेख नसीम, राकेश कुशवाह, पिंटू जाती, गजेन्द्र सिंह बताते हैं कि यह उत्सव सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं बल्कि नगर की सांस्कृतिक आत्मा है, जिसने पीढ़ियों को जोड़े रखा है.

भाईचारे की अनूठी मिसाल

गीदम गणेशोत्सव गंगा-जमना तहज़ीब का प्रतीक है.लगभग 30 वर्षों तक गणेश प्रतिमा का निर्माण मुस्लिम परिवारों द्वारा पठान पारा में किया गया. वर्तमान में समिति के सांस्कृतिक प्रमुख साजिद भारती खान पिछले 15 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं.भजन-कीर्तन की सफलता में भक्कु खान और छोटे खान की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.

शेख नसीम जी आज भी नगर के स्कूलों में जाकर बच्चों को मंचीय प्रस्तुतियों के लिए तैयार करते हैं.अनिल जॉर्ज जी वर्षों तक समिति के कोषाध्यक्ष रहे और अब संरक्षक के रूप में मार्गदर्शन दे रहे हैं.यह उत्सव धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर एकता, प्रेम और भाईचारे की मिसाल बन गया है.

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2025 का 5-दिवसीय विशेष कार्यक्रम

गणेश चतुर्थी 2025 के शुभ अवसर पर गणेश मंडप, पुराना बाज़ार पारा, गीदम में प्रतिमा स्थापना की गई है. आज एक सितंबर से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों क शुरुआत हो रही है. पहले दिन आस्था गुरुकुल,कस्तूरबा गांधी विद्यालय, संगीत महाविद्यालय,माध्यमिक शाला माधव पारा, दो सितंबर को भजन संध्या और कीर्तन प्रतियोगिता, बच्चों की नृत्य एवं गायन प्रतियोगिता,03 सितंबर को लोकगीत, नाटक और लोकनृत्य प्रस्तुतियां,नगर के उभरते कलाकारों का सम्मान, 4 सितंबर को विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति अजय डांसिंग ग्रुप,माध्यमिक शाला माहंगु पारा, कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला गीदम की प्रस्तुतियां और  05 सितंबर को सामूहिक भजन संध्या और भव्य आरती का आयोजन होगा.सार्वजनिक गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष अजय अवस्थी ने नगरवासियों से आग्रह किया है कि सपरिवार पधारकर भगवान गणेश का आशीर्वाद लें और बच्चों की प्रतिभा को प्रोत्साहित करें. 

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