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NDTV Exclusive: जल-जमीन और हवा में जहर फैला रहा 'काला पानी', लापरवाही से बढ़ा जीवन पर खतरा

NDTV Ground Report: छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी भिलाई में भारत बसता है.स्टील सिटी,एजुकेशन हब,स्पोर्ट्स हब,क्लचरल हब...न जाने कितने तमगों के साथ विश्वभर में अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस मिनी इंडिया की एक बड़ी आबादी जिंदगी के लिए पीने के साफ पानी के लिए जद्दोजहद कर रही है.पढ़िए एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट...

NDTV Exclusive: जल-जमीन और हवा में जहर फैला रहा 'काला पानी', लापरवाही से बढ़ा जीवन पर खतरा

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के भिलाई के एक बड़े हिस्से में भू-जल जहर बनते जा रहा है. सरकारी और कारोबारी मनमानी से जल-जमीन और हवा दूषित हो रहे हैं. जमीन से जहर रिसकर पानी में मिल रहा है. 50 हजार की आबादी वाले इस क्षेत्र की जनता को शुद्ध पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. NDTV  ने इस मामले में पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 

ऐसे शुरू हुई समस्या

दरअसल भिलाई के औद्योगिक क्षेत्र का भू-जल दूषित हो चुका है.बोरवेल से केमिकल युक्त पानी निकल रहा है.ये समस्या करीब 30 साल पहले छावनी के एक दाल मिल से शुरू हुई थी,लेकिन नियमों को ताक पर रख कारोबार करने की भूख और प्रशासन की अनदेखी से जल स्रोत के दूषित होने का दायरा विकराल कर दिया. एक वार्ड के कुछ मीटर से शुरू हुई समस्या. धीरे-धीरे 5 किलोमीटर के रेडियस में करीब 50 हजार की आबादी तक को प्रभावित करने लगी है.

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वार्ड-46 खुर्सीपार की रहने वाली रीना साहू, निवासी ने बताया कि केमिकल और एसिडयुक्त पानी आ रहा है. ऐसा है कि हाथ भी नहीं धोया जा सकता है. इसकी वजह से काफी दिक्क्तें हो रही हैं. ये समस्या कई सालों से है.

संगीता त्रिपाठी ने कहा कि यहां के बोर में कैमिकलयुक्त पानी में आ रहा है. हमारे कपड़े खराब हो जाते हैं. नदी का पानी मिले तो हम भरते हैं. जिस दिन नदी का पानी न मिले तो पीने के लिए पानी खरीदकर लाना पड़ता है. 

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पानी में किस तरह से ऑयल, जले हुए ऑयल मिलाए जा रहे हैं. यह नमूना आपको तस्वीर देखकर समझ आ जाएगा. क्योंकि जो तस्वीर नजर आ रही है इसमें पूरी तरह से ऑयल बड़े पैमाने में जले हुए फेंके गए हैं. इस पानी में मिलाए गए हैं और साथ ही यहां पर डंप भी की गई है. बोरियां डामर की, जिसमें वेस्टेज है, इसके साथ-साथ कई सारे आपको बोतल भी नजर आ रहे हैं, यहां पर जो की जले हुए ऑयल के बोतल हैं. जले हुए तेल यहां पर फेके गए हैं..जो धीरे-धीरे जल स्रोत में मिलकर इस एरिया के जल स्रोत को दूषित कर रहे हैं.

लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिलता

भिलाई नगर निगम के पार्षद जगदीश ने कहा कि पहले यह समस्या सिर्फ छावनी क्षेत्र में थी. उसके बाद धीरे-धीरे वार्ड  46 भी खराब हो चुका है, वार्ड नंबर 45 बालाजी नगर लगा हुआ है, बापू नगर प्रभावित है. केमिकल से परेशान है. इंडस्ट्री लग रहे हो तो आप अपनी सुविधा दे रहे हो, रोजगार दे रहे हो, लेकिन पब्लिक से खेलो मत. पार्षद ने कहा कि  पब्लिक है तो सब कुछ है. 50 से 60 हजार की आबादी वाले एरिया में पानी प्रभावित है. लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है. नगर निगम बोलता है कि हम पानी पिला रहे लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिलता. अधिकारी सुबह उठकर मोहल्लों में घूमें तो हकीकत पता चलेगी. 

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जल-जमीन और हवा में जहर फैलने की तफ्तीश के लिए हम भिलाई के औद्योगिक क्षेत्र छावनी से लेकर हथखोज तक गए. तस्वीरें हथखोज में रेलवे पटरी के आस-पास खाली पड़ी जमीनों की हैं. ये पानी नहीं जहर है. तारकोल, डामर वेस्टेज, खतरनाक कैमिकल खुलेआम बहाए जा रहे हैं.तस्वीरें देखिए और अंदाजा लगाइए कि जमीन को जहर बनाने का खुल्लम-खुल्ला खेल चल कैसे रहा है.....?

जल, हवा, मिट्टी हो रहे प्रदूषित

एनवायरनमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग, बोर्ड ऑफ स्टडीस के रिसर्चर व चेयरमैन डॉ. संतोष कुमार सार ने बताया कि कोई भी जल स्रोत में अगर कैमिकल मिल रही है तो, भू-जल स्रोत में मिलने में ज्यादा समय दो से तीन महीना लगेगा. एक ग्रेविटेशनल फोर्स है और जो मिट्टी है वह क्ले है, जिसमें एल्युमिनियम ऑक्साइड है और उसमें यह अब्जॉर्प्शन कैपेसिटी होता है. किसी भी तरीके से यदि हम रोज मिट्टी के ऊपर में ऐसे केमिकल को डंप कर रहे हैं वह 2 से 3 महीने में भू-जल में मिलेगा और नुकसान करेगा. वायु, मृदा को भी खतरा है. 

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पर्यावरण सरंक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय अधिकारी अनिता सावंत ने कहा कि इस तरह की जितनी भी इंडस्ट्रीज हैं, जितने भी उद्योग हैं, हम उसकी सबकी जांच कर रहे हैं.

जो भी संभावित उद्योग हैं जो डाल सकते हैं, उनकी सब की जांच कराएंगे और उसके बाद जो भी इसमें इंवॉल्व पाया जाएगा जो भी इस गतिविधि में संलग्न पाया जाएगा, उसके विरुद्ध नियम अनुसार कार्रवाई करेंगे.

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शुद्ध पानी उपलब्ध के लिए प्रतिबद्ध

नगर पालिक निगम भिलाई के महापौर  नीरज पाल ने कहा कि  गर्मी के समय में जब वाटर लेवल डाउन हो गया था और बोरिंग में केमिकल वाला पानी आ रहा था तो हमने जांच के बाद जो जिम्मेदार केमिकल इंडस्ट्री थी, उसको बंद कराया था. नगर निगम की पहली प्राथमिकता हर एक आम आदमी के पास पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध कराना है, जिसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं.

एमएसएमई के अध्यक्ष केके झा ने कहा कि दुर्ग  संगठन के माध्यम से उनको कहना चाहता हूं कि वातावरण सब खराब हो जाता है. जिसकी शिकायत कई बार हो चुकी है. मेरी अपील है कि ऐसा न करें, संगठन के माध्यम से भी मैं ये बात सबको कहूंगा. विकास के साथ ही वातावरण को सही रखने की भी हमारी जिम्मेदारी है. 

उद्योगपतियों और कारोबारियों के नियमों के उल्लंघन और मनमानी से भिलाई के बड़े क्षेत्र का जल स्रोत दूषित हो चुका है. जीवन के लिए जरूरी पानी जहर बनता जा रहा है और यह एक दो महीने या साल में नहीं बल्कि दशकों से चला आ रहा है. इससे यह भी साबित होता है कि जिम्मेदार शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि किस तरह मौन हैं. अब देखना होगा कि इस बड़ी समस्या के समाधान के लिए सरकार क्या करती है? 

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