नक्सलियों ने हथियार डाले, लोगों ने फोड़े बम, जलाए दीए, लाल आतंक से प्रभावित रहे इलाकों में मनी भयमुक्त दिवाली

Diwali Celebrations in Dantewada: ग्रामीणों के अनुसार, पहले जहां अंधेरे और डर का माहौल होता था, वहीं अब गांव-गांव में दीपों की जगमगाहट दिखाई दी. उन्होंने कहा कि यह दीपावली उनके लिए 'शांति और समृद्धि की नई शुरुआत' लेकर आई है.

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Diwali Celebrations in Naxal-Affected Areas: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में इस बार दिवाली खास रही. ज्यादातर नक्सलियों के हथियार डालने के कारण लोगों ने इस बार दीपावली का पर्व पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया. दंतेवाड़ा के नकुलनार, बारसूर, पोटाली, कटेकल्याण सहित आसपास के गांवों में रहने वाले आदिवासी देर रात तक नाचते-गाते और एक-दूसरे के घरों में लक्ष्मी पूजा का प्रसाद ग्रहण करते नजर आए. घरों के सामने रंग-बिरंगी झालरों और मिट्टी के दीयों से सजे आंगन चमक उठे, तो आसमान में आतिशबाजियों ने रोशनी बिखेरी.  

दरअसल, एक ओर नक्सलियों के बढ़ते आत्मसमर्पण से भय का वातावरण खत्म हुआ है, तो दूसरी ओर जीएसटी दरों में हालिया बदलाव से इलेक्ट्रॉनिक सामान और वाहनों की कीमतों में कमी आने से आम लोगों को राहत मिली है. यही वजह रही कि इस बार बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही. स्थानीय दुकानों पर खरीददारी के लिए दिनभर रौनक बनी रही.

नई शुरुआत लेकर आई ये दिवाली

ग्रामीणों के अनुसार, पहले जहां अंधेरे और डर का माहौल होता था, वहीं अब गांव-गांव में दीपों की जगमगाहट दिखाई दी. ग्रामीणों ने कहा कि यह दीपावली उनके लिए “शांति और समृद्धि की नई शुरुआत” लेकर आई है. प्रशासन और सुरक्षा बलों ने भी इसे “नई उम्मीद की किरण” बताया है. नक्सल प्रभावित इलाकों में इस तरह से दीपों का उजाला और लोगों के चेहरों पर दिखती मुस्कान विकास और विश्वास की नई कहानी बयां कर रही है.
 

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