Dhokra Art: ढोकरा का दर्द! किलो के भाव बिक रही शिल्पकारों की मेहनत, देखिए कोंडागांव की ये रिपोर्ट

Dhokra Art: कोंडागांव की पहचान बस्तर आर्ट के लिए रही है. बेलमेटल की कलाकृतियां परंपरागत तरीके से यहां बनाई जाती हैं. बस्तर आर्ट का 90% काम कोंडागांव में होता है. वहीं सरकार का दावा है कि शिल्पकारों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कोंडागांव के 1300 से अधिक शिल्पकारों को पंजीकृत किया गया है. आइए जानते हैं क्या हैं शिल्पकार?

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Dhokra Art: कोंडागांव के शिल्पकारों का हाल

Dhokra Art Bastar: बस्तर एक संभाग है जो कभी जिला हुआ करता था और जिले को संभाग बनाने के बाद इसे कई अलग-अलग जिलों में बांटा गया, जिसमें एक जिला बना कोंडागांव. सरकार के द्वारा इस जिले को शिल्पनगरी के नाम पर एक पहचान दी गई, जिसके पीछे वजह है कोंडागांव कई शिल्पकार. सरकार बताती है कि यहां के शिपकारों की बेहतर स्थिति के लिए सरकार लगातार काम कर रही है, इस शिल्पकला को राष्ट्रीय सम्मान मिला है. यहां से तैयार शिल्पकला को देश-विदेश के बड़े नेताओं को भेंट किया जाता रहा है, पर शिल्पियों को उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल रहा. यहां के कलाकारों का कहना है कि उनकी कला किलों के भाव बिकती है. जिसके चलते इस कला से जुड़े कलाकरों का जीवन स्तर नहीं सुधर पाया है.

Dhokra Art: बस्तर का ढोकरा आर्ट

मेहनत का पैसा नहीं मिल पा रहा

हस्तशिल्प बोर्ड भी इन कलाकृतियों को किलो के हिसाब से खरीद रहा है. इस मुद्दे को लेकर कोंडागांव के छोटे से लेकर बड़े कलाकारों में काफ़ी नाराजगी है. कोंडागांव के कई शिल्पकार मेहनत का उचित पैसा ना मिलने के करण इस कला से दूर हो गए हैं. ढोकरा कला भारत की सांस्कृतिक धरोहर में 4600 साल से भी अधिक पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता तक जाती हैं.

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बस्तर की धरती पर विकसित ढोकरा आर्ट एक अनमोल विरासत है. इसे पीढ़ी दर पीढ़ी कलाकारों ने संजोया है. यह 500 साल पुरानी कला बस्तर के 'घड़वा समाज' के लोगों द्वारा संरक्षित है. 'ढोकरा' शब्द की उत्पत्त बस्तर में बुजुर्गों को दिए जाने वाले सम्मानजनक संबोधन 'दोकरा-ढोकरी' से हुई है.

Dhokra Art: कोंडागा़ंव के कलाकार

कोंडागांव के नेशनल अवार्डी तिजू राम का कहना की ये यहां के शिल्पकारो के साथ अन्याय है, सरकार को यहां के कलाकारों को उनकी बनाई कलाकृति को पीस के हिसाब से पैसा देना चाहिए. कोंडागांव की पहचान बस्तर आर्ट के लिए रही है. बेलमेटल की कलाकृतियां परंपरागत तरीके से यहां बनाई जाती हैं. बस्तर आर्ट का 90% काम कोंडागांव में होता है.

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Dhokra Art: ढोकरा शिल्पकार

सरकार का क्या कहना है?

शासन का दावा है कि शिल्पकारों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कोंडागांव के 1300 से अधिक शिल्पकारों को पंजीकृत किया गया है. आईआईटी भिलाई के सहयोग से शिल्पकारों को तकनीकी सहायता दी जा रही है. आईआईटी भिलाई के साथ एमओयू किया गया है ताकि प्रोडक्शन प्रोसेस को सुधारा जा सके. नेशनल लेवल मार्केटिंग के लिए प्रयास जारी हैं. ई-कॉमर्स साइट से जोड़ने और सोशल मीडिया मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है. हमारा लक्ष्य है कि एक साल में रेवेन्यू को दोगुना किया जाए.

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