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Dhokra Art Bastar

'Dhokra Art Bastar' - 2 News Result(s)
  • Dhokra Art: ढोकरा का दर्द! किलो के भाव बिक रही शिल्पकारों की मेहनत, देखिए कोंडागांव की ये रिपोर्ट

    Dhokra Art: ढोकरा का दर्द! किलो के भाव बिक रही शिल्पकारों की मेहनत, देखिए कोंडागांव की ये रिपोर्ट

    Dhokra Art: कोंडागांव की पहचान बस्तर आर्ट के लिए रही है. बेलमेटल की कलाकृतियां परंपरागत तरीके से यहां बनाई जाती हैं. बस्तर आर्ट का 90% काम कोंडागांव में होता है. वहीं सरकार का दावा है कि शिल्पकारों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कोंडागांव के 1300 से अधिक शिल्पकारों को पंजीकृत किया गया है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं शिल्पकार?

  • ढोकरा आर्ट: खतरे में 4600 साल पुरानी धरोहर, कोरोना के बाद बिगड़ी शिल्पकारों की हालत

    ढोकरा आर्ट: खतरे में 4600 साल पुरानी धरोहर, कोरोना के बाद बिगड़ी शिल्पकारों की हालत

    Bastar Dhokra Art: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ढोकरा कला की परंपरा 4600 साल से भी अधिक पुरानी है, लेकिन कोरोना काल के बाद शिल्पकारों की स्थिति खराब हो गई है. शिल्पकारों को बाजार की कमी खल रही है और वे आर्थिक तंगी के कारण अपना काम छोड़ मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं. शासन का दावा है कि शिल्पकारों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन शिल्पकारों को अभी भी बाजार और आर्थिक सहायता की जरूरत है.

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  • Dhokra Art: ढोकरा का दर्द! किलो के भाव बिक रही शिल्पकारों की मेहनत, देखिए कोंडागांव की ये रिपोर्ट

    Dhokra Art: ढोकरा का दर्द! किलो के भाव बिक रही शिल्पकारों की मेहनत, देखिए कोंडागांव की ये रिपोर्ट

    Dhokra Art: कोंडागांव की पहचान बस्तर आर्ट के लिए रही है. बेलमेटल की कलाकृतियां परंपरागत तरीके से यहां बनाई जाती हैं. बस्तर आर्ट का 90% काम कोंडागांव में होता है. वहीं सरकार का दावा है कि शिल्पकारों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कोंडागांव के 1300 से अधिक शिल्पकारों को पंजीकृत किया गया है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं शिल्पकार?

  • ढोकरा आर्ट: खतरे में 4600 साल पुरानी धरोहर, कोरोना के बाद बिगड़ी शिल्पकारों की हालत

    ढोकरा आर्ट: खतरे में 4600 साल पुरानी धरोहर, कोरोना के बाद बिगड़ी शिल्पकारों की हालत

    Bastar Dhokra Art: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ढोकरा कला की परंपरा 4600 साल से भी अधिक पुरानी है, लेकिन कोरोना काल के बाद शिल्पकारों की स्थिति खराब हो गई है. शिल्पकारों को बाजार की कमी खल रही है और वे आर्थिक तंगी के कारण अपना काम छोड़ मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं. शासन का दावा है कि शिल्पकारों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन शिल्पकारों को अभी भी बाजार और आर्थिक सहायता की जरूरत है.

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