CG High Court: पुलिस हिरासत में मौत; मृतक के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा, जानिए कोर्ट ने क्या कहा?

Death in police custody: अदालत ने कहा कि मौत के हालात दिखाते हैं कि मृतक को अमानवीय यातना दी गई थी और यह मामला हिरासत में बर्बरता का उदाहरण है. उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि हिरासत में मौत के मामलों में मुआवजा देना सार्वजनिक कानून के तहत जरूरी उपाय है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
CG High Court: पुलिस हिरासत में मौत; मृतक के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा, जानिए कोर्ट ने क्या कहा?

CG High Court: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (Chhattisgarh High Court) ने पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत (Death in Police Custody) को पुलिस अत्याचार का नतीजा मानते हुए राज्य सरकार (Chhattisgarh Government) को मृतक के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है कि पुलिस हिरासत (Police Custody) में किसी भी व्यक्ति को यातना, क्रूरता या अपमान का सामना न करना पड़े. आइए जानते हैं पूरा मामला.

कोर्ट ने क्या कहा?

उच्च न्यायालय से मिली जानकारी के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभू दत्त गुरु की पीठ ने अपने फैसले में कहा, “जहां किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हो जाती है, वहां विश्वसनीय एवं स्वतंत्र साक्ष्यों के माध्यम से मौत का कारण स्पष्ट करने की जिम्मेदारी राज्य पर होती है. ऐसा न करना, खासकर उन मामलों में जहां मृत्यु-पूर्व चोटें मौजूद हों या हिरासत के तुरंत बाद मौत हो, अनुच्छेद-21 के तहत जीवन और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है.”

पीठ ने कहा, “राज्य मृतक के आश्रितों को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है, जिससे परिवार को राहत मिलने के साथ-साथ भविष्य में ऐसे उल्लंघनों से बचाव का दोहरा उद्देश्य पूरा होता है.”

उसने कहा कि मौत से जुड़ी परिस्थितियां दिखाती हैं कि मृतक को अमानवीय यातना दी गई थी और यह मामला हिरासत में बर्बरता का उदाहरण है.

कहां का है मामला?

हिरासत में मौत का यह मामला धमतरी जिले के अर्जुनी थाने का है. याचिकाकर्ता दुर्गा देवी कठोलिया के अनुसार, पुलिस ने उसके पति दुर्गेंद्र कठोलिया को 29 मार्च 2025 को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था. दु्र्गा के मुताबिक, 31 मार्च को दुर्गेंद्र को धमतरी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां वह पूरी तरह से स्वस्थ दिख रहा था, लेकिन शाम पांच बजे उसे फिर से थाने ले जाया गया, जहां महज तीन घंटे के भीतर उसकी मौत हो गई.

Advertisement
परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने दुर्गेंद्र को हिरासत में कड़ी यातनाएं दीं, जिससे उसकी मौत हो गई. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुर्गेंद्र के शव पर 24 चोटों का जिक्र है और मौत का कारण दम घुटना बताया गया है.

दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सहित अन्य अनुरोध को लेकर दुर्गेंद्र की पत्नी दुर्गा, मां सुशीला और पिता लक्ष्मण सोनकर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

सरकार ने क्या कहा?

मामले में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और मृतक के शरीर पर लगी चोटें साधारण व पुरानी थीं.

Advertisement
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा, “यह प्राकृतिक मौत नहीं, पुलिस अत्याचार का नतीजा है. सभी साक्ष्य साफ बताते हैं कि यह मौत पुलिस की यातना से हुई. यह संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन और उसके सम्मान के अधिकार का सीधा उल्लंघन है.”

अदालत ने कहा कि मौत के हालात दिखाते हैं कि मृतक को अमानवीय यातना दी गई थी और यह मामला हिरासत में बर्बरता का उदाहरण है. उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि हिरासत में मौत के मामलों में मुआवजा देना सार्वजनिक कानून के तहत जरूरी उपाय है.

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मृतक की पत्नी को तीन लाख रुपये की राशि दी जाए, जिससे वह अपने दो नाबालिग बच्चों की देखभाल कर सके. उसने कहा कि मृतक के माता-पिता को एक-एक लाख रुपये दिए जाएं.

उच्च न्यायालय ने कहा कि मुआवजा राशि का भुगतान आठ हफ्ते के भीतर किया जाए, वरना आदेश की तिथि से भुगतान तक इस राशि पर नौ प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज लगेगा.

Advertisement

यह भी पढ़ें : Ladli Behna Yojana 29th Installment: 29वीं किस्त की बारी, कब मिलेंगे लाडली बहनों को 1500 रुपये, इनको लाभ नहीं

यह भी पढ़ें : Cough Syrup Case: प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी पर डॉक्टर्स एसोसिएशन का विरोध जारी, IMA की ऐसी है तैयारी

यह भी पढ़ें : Dog Bite Case: आवारा कुत्तों का आतंक; यहां 15 लोगों को पागल कुत्ते ने बनाया शिकार, 9 वर्षीय बच्चा एम्स रेफर

यह भी पढ़ें : Premanand Maharaj Health Update: संत प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य कैसा है? आश्रम ने जारी किया ये बयान