Coal Scam Case: कोरबा के खनिज दफ्तर में EOW की दबिश, कोयला घोटाले से जुड़े मामले की चल रही जांच

Coal Scam Case In Chhattisgarh: कोरबा में EOW की टीम का डेरा है. यहां के खनिज दफ्तर में दबिश देकर कोयला घोटाले से जुड़े मामले की जांच की जा रही है. 

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Coal Scam Case: छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले की जांच कर रही  राज्य सरकार की EOW (आर्थिक अपराध अंवेषण) की टीम ने कोरबा कलेक्टोरेट में स्थित खनिज विभाग के कार्यालय में दबिश दी.  जुलाई 2020 से 2022 के बीच कोल परिवहन में लेवी के मामले में उन दस्तावेजों को खंगाला, जिनमें अवैध वसूली प्रति टन के आरोप सीनियर IAS अफसरों और राजनेताओं पर लगे हैं और ED इस मामले में पहले से ही जांच कर रही है. इसके बाद अब हड़कंप मचा हुआ है. 

बता दें कि गुरुवार को कोरबा में इस मामले की जांच के लिए   EOW के DSP स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में सुबह से ही एक टीम ने पहुंचकर जांच शुरु की दी थी. टीम ने खनिज विभाग के दफ्तर पहुंचकर  इस मामले से जुड़े तमाम दस्तावेजों को खंगाला. इससे पहले इस मामले में  ED ने भी यहां दबिश देकर खनिज विभाग के अधिकारियों से दस्तावेजों को इकट्ठा किया था.  इस मामले जांच में ED की मानें  तो छत्तीसगढ़ में 540 करोड़ रुपए से ज्यादा का कोयला घोटाला हुआ है. यह घोटाला साल 2020 से 2022 तक किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने अब तक इसके खुलासे के लिए अब तक सैकड़ों जगह छापेमारी करने के बाद मामले में 10 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया हुआ है. वही इस मामले में अब तक आरोपियों की 170 करोड़ की संपत्ति जब्त की हुई है. 

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इस बहुचर्चित मामले की अलग से जांच कर रही राज्य की EOW ने  निलंबित आईएएस अफसर रानू साहू और पूर्व डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया को दो दिन की  रिमांड में लिया था. उन्हें कल ही विशेष कोर्ट में पेश न्यायिक हिरासत में 18 जून तक भेज दिया गया है. वहीं इनके साथ निलंबित IAS अफसर समीर विश्नोई और इस मामले के  मुख्य सूत्रधार सूर्यकांत तिवारी को 7 दिन की रिमांड में लिया हुआ है.  

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क्या है कोयला घोटाला मामला

15 जुलाई 2020 को राज्य के खनन विभाग ने कोयले के परिवहन के लिए जारी होने वाले ई परमिट की प्रक्रिया में संशोधन कर दिया और  NOC लेना आवश्यक कर दिया था. इसके नोटिफिकेशन में माइनिंग कंपनियों को ट्रांसमिट परमिट के लिए NOC लेने के लिए  राज्य सरकार  से बाध्यता कर दी गई. जब ED ने इस मामले में जांच की तो ये तथ्य सामने आए. नोटिफिकेशन के बाद की प्रक्रिया में  हर खरीददार या ट्रांसपोर्टर को डीएम ऑफिस  से एनओसी लेने के पहले एक निश्चित रकम 25 रुपये  प्रति टन की अवैध वसूली की गई. ED की मानें तो अवैध वसूली का काम सूर्यकांत तिवारी अपने लोगों से करवाता था. इसकी मोटी रकम नीचे से लेकर ऊपर तक बांटता था. 

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