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खनन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने रचा इतिहास: पारदर्शिता, तकनीकी नवाचार व सतत विकास से बना देश का आदर्श राज्य

छत्तीसगढ़ ने पारदर्शी प्रशासन, तकनीकी नवाचार और सतत विकास के माध्यम से खनन क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर उदाहरण प्रस्तुत किया है. राज्य का खनिज राजस्व 25 वर्षों में 34 गुना बढ़ा है. डिजिटल पोर्टल, नई नीतियों और स्टार रेटिंग प्रणाली से राज्य देश का “खनन मॉडल राज्य” बन गया है.

खनन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने रचा इतिहास: पारदर्शिता, तकनीकी नवाचार व सतत विकास से बना देश का आदर्श राज्य

खनिज संपदा से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य ने हाल के वर्षों में खनन क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी नवाचार को केंद्र में रखकर राज्य ने खनिज प्रशासन में कई संरचनात्मक सुधार किए हैं, जिनके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी खनन राज्यों में शामिल हो गया है. राज्य में विश्वस्तरीय लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, बाक्साइट, टिन अयस्क सहित नवीन अन्वेषणों से क्रिटिकल, स्ट्रैटेजिक तथा रेयर अर्थ मिनरल्स की उपलब्धता प्रमाणित हुई है, जिससे राज्य की वैश्विक पहचान और मजबूत हुई है. 

GSDP में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान

छत्तीसगढ़ का खनन क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, जबकि देश के कुल खनिज उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी करीब 17 प्रतिशत है. राज्य के खनिज राजस्व में पिछले 25 वर्षों में 34 गुना वृद्धि दर्ज की गई है. राज्य गठन के समय जहाँ खनिज राजस्व मात्र ₹429 करोड़ था, वहीं वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर ₹14,592 करोड़ तक पहुँच गया. यह उपलब्धि राज्य की सुदृढ़ खनिज नीति और सतत प्रशासनिक सुधारों का परिणाम है.

नीलामी प्रक्रिया भी प्रारंभ की जा चुकी

वर्ष 2015 में संशोधित खनन एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत गठित खनिज नीलामी नियम 2015 के तहत अब तक राज्य में 60 खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी की जा चुकी है. इनमें 15 लौह अयस्क, 14 बाक्साइट, 18 चूना पत्थर तथा 13 क्रिटिकल व स्ट्रैटेजिक खनिज ब्लॉक सम्मिलित हैं. साथ ही, पाँच नए ब्लॉकों (दो चूना पत्थर, एक लौह अयस्क, एक स्वर्ण और एक बेस मेटल ब्लॉक) की नीलामी प्रक्रिया भी प्रारंभ की जा चुकी है.

संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म, छत्तीसगढ़ ने खनन अनुसंधान और अन्वेषण के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग के लिए आईआईटी मुंबई, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद तथा कोल इंडिया लिमिटेड के साथ एमओयू संपादित किए हैं. इस साझेदारी के माध्यम से क्रिटिकल एवं स्ट्रैटेजिक मिनरल्स की खोज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नई गति मिली है.

प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के गाइडलाइन-2024 के अनुरूप राज्य में जिला खनिज संस्थान न्यास नियम, 2025 अधिसूचित किए गए हैं. राज्य में अब तक ₹16,119 करोड़ का अंशदान प्राप्त हुआ है, जिसके अंतर्गत 1,05,653 कार्यों को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 74,454 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं. वित्तीय स्वीकृति, निगरानी और प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु डीएमएफ पोर्टल 2.0 को लागू किया गया है.

खनिज विभाग द्वारा विकसित खनिज ऑनलाइन 2.0 पोर्टल ने राज्य के खनिज प्रशासन को पूर्णतः डिजिटल स्वरूप प्रदान किया है. यह प्रणाली सुरक्षित, बहुआयामी और उपयोगकर्ता-मित्र है, जो पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देती है. यह पहल छत्तीसगढ़ को खनन प्रबंधन में एक राष्ट्रीय मॉडल राज्य के रूप में स्थापित कर रही है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के सिद्धांतों के अनुरूप राज्य में रेत खदानों का आबंटन अब पूर्णतः ऑनलाइन प्रणाली से किया जा रहा है. इसके लिए एमएसटीसी के साथ एमओयू किया गया है. इस नई व्यवस्था में मानव हस्तक्षेप समाप्त कर संपूर्ण प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और सुरक्षित बनाया गया है.

गौण खनिज नियम 2015 के अंतर्गत लागू स्टार रेटिंग प्रणाली के तहत खनन, पर्यावरण प्रबंधन, सुरक्षा उपाय और सतत विकास के मानकों पर खदानों का मूल्यांकन किया जा रहा है. इस व्यवस्था के तहत तीन खदानों को 5-स्टार तथा 32 खदानों को 4-स्टार रेटिंग से सम्मानित किया गया है, जो वैज्ञानिक एवं जिम्मेदार खनन की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है.

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि “खनिज संपदा केवल आर्थिक स्रोत नहीं, बल्कि राज्य के सर्वांगीण विकास का आधार है.” छत्तीसगढ़ ने नीतिगत सुधारों, डिजिटल पारदर्शिता और सतत विकास के समन्वित प्रयासों से एक आदर्श प्रशासनिक मॉडल प्रस्तुत किया है. यह प्रगति न केवल आर्थिक सुदृढ़ता का संकेत है, बल्कि जनहित आधारित विकास की दिशा में एक स्थायी कदम भी है. 

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