Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Assembly Elections 2023) के दुर्ग जिले का पाटन निर्वाचन क्षेत्र (Patan Assembly) राज्य की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है. यहां कांग्रेस से प्रत्याशी खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) हैं. बघेल लगातार दो विधानसभा चुनाव इस सीट से जीते हैं, जबकि अब तक 3 बार जीत चुके हैं. हालांकि इस बार बीजेपी ने भूपेश के खिलाफ उनके ही भतीजे विजय बघेल (Baghel VS Baghel) को प्रत्याशी बनाया है. विजय (Vijay Baghel) ने साल 2008 में भूपेश को जीत की हैट्रिक लगाने से रोक चुके हैं. ऐसे में अब इस सीट पर मुकाबला कांटे की टक्कर वाला है, क्योंकि दोनों ही नेता एक दूसरे को एक-एक बार पटकनी दे चुके हैं.
पाटन विधानसभा : बघेल VS बघेल
सीएम भूपेश बघेल अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में ही पाटन से 2 चुनाव जीते थे. साथ ही बघेल दिग्विजय मंत्रिमंडल का सदस्य (बतौर परिवहन मंत्री) बनकर छत्तीसगढ़ की मुख्यधारा की राजनीति के लिए अपनी जमीन तैयार कर चुके थे. यही वजह रही कि 2000 में अलग राज्य बनने के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में बतौर राजस्व मंत्री जगह दी थी. वहीं साल 2003 में भी बघेल अपना प्रदर्शन बरकरार रखें, हालांकि उस समय कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी थी.
विजय एनसीपी से पहली बार उतरे खिलाफ में
साल 2003 के चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर चुके पूर्व दिग्गज कांग्रेसी विद्याचरण शुक्ल के नेतृत्व में एनसीपी का काफी जोर था. पाटन से कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल के खिलाफ उन्होंने विजय बघेल को खड़ा किया और इस चुनाव में विजय बघेल और भूपेश बघेल के बीच पहली बार आमना-सामना हुआ. इस चुनाव नताजे में भूपेश बघेल को जीत मिली थी. उस समय कांग्रेस के भूपेश बघेल को 44217 वोट मिले थे, जबकि एनसीपी के विजय बघेल को 37308 वोट मिले थे.
दूसरे मुकाबले में विजय ने दी पटखनी
साल था 2008, भाजपा अपना एक कार्यकाल पूरा कर चुका था. कांग्रेस के लिए सब कुछ सही नहीं हो रहा था. तब तक विजय बघेल बीजेपी में शामिल हो चुके थे. बीजेपी में जाने का फायदा भी विजय को पहली बार नजर आया और वो जीत का पहला स्वाद चखें. यहां पहली बार भूपेश बघेल को हार का मुंह देखना पड़ा. दरअसल, बीजेपी के विजय बघेल को 59000 वोट और कांग्रेस के भूपेश बघेल को 51158 वोट मिले थे.
भूपेश ने किया था पलटवार
फिर साल आया 2013, जब कांग्रेस को सहानुभूति लहर की भी उम्मीद थी. सरकार तो नहीं बनी, पर हार का अंतर पटा जरूर था. भूपेश बघेल ने भी अपनी सीट पर पलटवार करते हुए विजय बघेल को शिकस्त दी थी.
मोतीलाल को भी पटखनी दिए थे बघेल
भूपेश बघेल का कद 2018 के चुनाव तक काफी बढ़ चुका था. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष होने के साथ ही लगभग सर्वेसर्वा भी हो चुके थे. तब बीजेपी ने विजय बघेल का टिकट काटकर मोतीलाल साहू को यहां से प्रत्याशी बनाया, लेकिन कांग्रेसी लहर के बीच भूपेश बघेल ने उन्हें भी पटखनी दे दी.
चाचा-भतीजा 2-1 के बाद फिर मैदान में
2019 के लोकसभा चुनाव जीत के साथ विजय बघेल दुर्ग के सांसद बन चुके हैं, लेकिन बीजेपी ने सांसदों को विधानसभा चुनाव मैदान में उतारने की अपनी नई रणनीति के तहत विजय को पाटन में एक बार फिर भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है.