Anti Naxal Operation in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र (Naxal Affected Area) गरियाबंद जिले में सुरक्षाबलों (Security Forces) ने तीन बारूदी सुरंग (Landmines in Gariaband) बरामद की है. पुलिस अधिकारियों (Police Officers) के अनुसार शोभा थाना क्षेत्र के अंतर्गत गरीबा गांव के जंगल में सुरक्षाबलों ने तीन बारूदी सुरंग की पड़ताल की है. शोभा थाना क्षेत्र से लगी अंतर्राज्यीय सीमा के ग्राम कोदोमाली, इचरादि, गरीबा, सहबीनकछार जंगल क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों की लगातार सूचनायें प्राप्त हो रही थीं. जिस पर कार्यवाही करने के उद्देश्य से गरियाबंद एसटीएफ एवं जिला बल की संयुक्त टीम ने थाना शोभा के ग्राम कोदोमाली, इचरादि, गाजीमुडा, गरीबा जंगल व पहाडी क्षेत्र की ओर सर्चिंग करते हुए नक्सल विरोधी अभियान पर निकले थे. अधिकारियों ने बताया कि इलाके में नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए नक्सली अक्सर विस्फोटक लगाते हैं.
सर्चिंग के दौरान क्या हुआ?
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबल के जवान जब क्षेत्र के गरीबा गांव के जंगल में थे तब सुरक्षाबलों को देखकर नक्सली वहां से भाग गए. इसके बाद सुरक्षाबलों ने जंगल से तीन-तीन किलोग्राम वजनी एक टिफिन बम, दो कुकर बम तथा अन्य सामान बरामद किया. उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने बमों को नष्ट कर दिया है तथा नक्सलियों की खोज की जा रही है.
इस पूरे मामले में प्रतिबंधित माओवादी संगठन सीपीआई माओवादी के सदस्यों के विरूद्व सुसंगत धाराओं के अंतर्गत अपराध पंजीबद्व कर विवेचना में लिया गया है.
बस्तर में हो रही लगातार कार्यवाही के बाद दबाव में नक्सली
पिछले कुछ समय से बस्तर में जवानों के द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान और नक्सलियों के एनकाउंटर के बाद से नक्सली भारी दबाव में हैं. चूंकि गरियाबंद जिले की सीमा बस्तर और ओडिशा की सीमा से लगी हुई है, इसलिए नक्सली इन सीमाओं के आस पास डेरा डाल रहे है. मगर गरियाबंद जिले के बॉर्डर क्षेत्र में लगातार हो रही सघन सर्चिंग के चलते नक्सलियों के ऊपर भारी दबाव बना हुआ है. यही वजह है कि नक्सलियों अब अपने लिए सुरक्षित स्थान की तलाश में अलग-अलग शहर की सीमाओं में छिपने की कोशिश कर रहे हैं.
तेंदूपत्ता है कमाई का बड़ा सहारा
गरियाबंद जिले के वनांचल क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों की आमदनी का एक जरिया वनोपज भी है. चूंकि हरा सोना यानी तेंदूपत्ता का सीजन शुरू हो चुका है. प्रदेश में हर साल तेंदूपत्ते की तुड़ाई शुरू होते ही नक्सली सक्रिय हो जाते हैं. समितियों, ठेकेदारों और व्यापारियों से लेवी वसूलने के लिए नक्सली वन क्षेत्रों में डेरा डालते हैं. सूत्रों की माने तो नक्सलियों के बजट का बड़ा हिस्सा तेंदूपत्ते की लेवी से मिलने वाली धनराशि से ही होता है.
बचाव के लिए डेरे के आसपास लगा रखे थे आईईडी बम
गरियाबंद नक्सल ऑपरेशन के एडिशनल एसपी धीरेंद्र पटेल ने बताया कि 20 से 25 माओवादियों के जंगल में छिपे होने की सूचना मिली थी. जिसके आधार पर जिला पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम को सर्चिंग के लिए गरीबा और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों में भेजा गया था. इस दौरान हमारी टीम को नक्सलियों के डेरे की जानकारी मिली डेरे की ओर पहुंचने के पहले ही नक्सलियों को फोर्स के आने का अंदेशा हो गया था. इसलिए जंगल का फायदा उठाकर वह अंदर की ओर भाग गए, मगर जाने से पहले उन्होंने अपने डेरे के आसपास जमीन के अंदर दो प्रेशर कुकर बम जिनका वजन लगभग तीन-तीन किलो था छिपा कर रखा थे और एक टिफिन बम जिसे शायद लगाना चाह रहे थे, वह मौके पर मिला. इन हथियारों को हमारी टीम ने नष्ट कर दिया. चूंकि अभी तेंदूपत्ता का सीजन है इसलिए ग्रामीण जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने आते हैं ग्रामीण इस बम की चपेट में आ सकते थे और एक बड़ा हादसा हो सकता था जिसे हमारी जिला पुलिस और एसटीएफ की टीम ने नाकाम किया है.
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