CG News: धान का पैसा नहीं मिलने से किसान परेशान, साहब! ऐसे में कैसे होगा कन्यादान?

Paddy Procurement: किसानों के बैंक खाता (Bank Account) में धान की राशि तो है, लेकिन आवश्यकता अनुसार जितनी राशि उन्हें चाहिए उतनी राशि बैंक नहीं दे रहा है. बैंक प्रबंधन (Bank Management) अपने सुविधा अनुसार एक किसी को 10 से 20 हजार से ज्यादा कैश नहीं दे रहे हैं, जिससे किसानों में सरकार को लेकर नाराजगी काफी बढ़ गई है.

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NDTV Ground Report: देश भर में इन दिनों शादी-विवाह का सीजन (Wedding Season) चल रहा है, जो परिवार अपनी बेटी के हाथ पीले करने जा रहे हैं उनके यहां उत्साह और खुशियों का महौल है, लेकिन छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कुछ लोगों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं. ये लोग कोई और नहीं बल्कि हमारे बीच के अन्नदाता किसान (Farmers) भाई हैं. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक (District Cooperative Central Bank) में इन दिनों ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ने लगी है. दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र से कैश निकालने की उम्मीद लेकर ये किसान सुबह से ही ग्रामीण बैंक (Gramin Bank) में लाइन लगाकर खड़े रहते हैं. लेकिन नगदी यानी कैश की कमी (Shortage of Cash) की समस्या बता कर बैंक प्रबंधक (Bank Manager) किसानों (Kisan) को उनके आवश्यकता अनुसार नगदी नहीं दे रहे हैं. जिसके कारण इस भीषण गर्मी (Summer) में किसान काफी परेशान व ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. ये वही किसान है, जिन्होंने अपनी धान साढ़े तीन माह पहले राज्य सरकार को सहकारी समितियों के माध्यम से बेचा था. सरकार ने अपने वादे अनुसार किसानों को धान की कीमत एक मुश्त तो दे दी. इनके खाता में सरकार से प्राप्त धान की राशि भी दिखाई दे रही है. लेकिन विडंबना देखिए कि ये किसान आज में अपनी धान की राशि को प्राप्त करने के लिए बैंकों का चक्कर काट रहे हैं.

अकाउंट पैसे तो हैं लेकिन हाथ में नहीं आ पा रहे

किसानों के बैंक खाता (Bank Account) में धान की राशि तो है, लेकिन आवश्यकता अनुसार जितनी राशि उन्हें चाहिए उतनी राशि बैंक नहीं दे रहा है. बैंक प्रबंधन (Bank Management) अपने सुविधा अनुसार एक किसी को 10 से 20 हजार से ज्यादा कैश नहीं दे रहे हैं, जिससे किसानों में सरकार को लेकर नाराजगी काफी बढ़ गई है.

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सरगुजा संभाग के सभी 6 जिलों में के सहकारी केन्द्रीय बैंकों की कमोबेश यही स्थिति है. अम्बिकापुर के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में कुल 11 सहकारी समिति के 25 हजार से ज्यादा किसानों का खाता है. राज्य सरकार के अंतर्गत संचालित इस बैंक में कर्मचारियों की भारी किल्लत है, जिसके कारण बैंक प्रबंधन के द्वारा सप्ताह के पांच दिनों में एक दिन में दो समितियों के किसानों को भुगतना किया जाता है. अगर किसी किसान को उसके समिति के अनुसार दिए दिन में भुगतान नहीं हुआ तो उसे एक सप्ताह का इंतजार करना पड़ता है.

बैंक का क्या तर्क है?

दूसरी ओर इस बारे में बैंक प्रबंधक ने एनडीटीवी को बताया कि किसानों को उनके मांग अनुसार राशि दिया जा रहा है. हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार की बैंक में कैश की कमी है, जिसके कारण ये समस्या आ रही है. इसे जल्दी ठीक कर लिया जाएगा.

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