Chhattisgarh High Court: शहर की बदहाल सड़कों और अतिक्रमण की स्थिति को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने नगर निगम और लोक निर्माण विभाग पर सख्त रुख अपनाया है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में बिलासपुर हाई कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त और पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन अभियंता (ईई) को निर्देश दिए हैं कि वे शपथपत्र पर यह बताएं कि जर्जर सड़कों की मरम्मत आखिर कब तक की जाएगी. कोर्ट ने साफ कहा कि अब जवाबदेही तय की जाएगी.
कोर्ट ने क्यों उठाया ये मुद्दा?
यह मामला तब सामने आया जब चीफ जस्टिस ने अपोलो अस्पताल, लिंगियाडीह मार्ग की हालत का खुद निरीक्षण किया. उन्होंने देखा कि सड़क बेहद खराब स्थिति में है और अतिक्रमण के कारण एम्बुलेंस व मरीजों को अस्पताल पहुंचने में कठिनाई हो रही है. इसके बाद इस विषय को जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर सुनवाई शुरू की गई. कोर्ट के निर्देश के बाद नगर निगम ने बसंत विहार चौक से अपोलो अस्पताल तक अतिक्रमण हटाकर सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू किया. पहले की सुनवाई में नगर निगम आयुक्त ने बताया था कि अपोलो चौक से मानसी होटल होते हुए रपटा तक सड़क विस्तार के लिए 6 मई को कार्यादेश जारी किया गया है.
23 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
हालांकि, कोर्ट ने अब पूरे शहर की सड़कों की खराब हालत पर नाराजगी जताई और कहा कि प्रमुख मार्ग गड्ढों से भरे हैं, लेकिन मरम्मत को लेकर कोई निश्चित समय नहीं बताया जा रहा. अदालत ने कहा कि शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया जाए कि कब तक शहर की सड़कों को सुधार दिया जाएगा. अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी.
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