Chhattisgarh SI Recruitment: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने एसआई-प्लाटून कमांडर भर्ती (SI-Platoon Commander Recruitment) लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने मेरिट सूची में शामिल एसआई के अभ्यर्थियों को 90 दिन में नियुक्ति देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही प्लाटून कमांडर (Platoon Commander Recruitment) के 370 महिला अभ्यर्थियों को हटाकर 370 पुरुष अभ्यर्थियों को लेने का आदेश भी हाईकोर्ट ने जारी किया है. बता दें कि सिलेक्शन कमेटी की नियम विरुद्ध प्लाटून कमांडर पद पर महिलाओं के चयन करने पर भर्ती को लेकर विवाद हुआ था.
इसी विवाद को सुलझाते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने 45 दिन के अंदर भर्ती की पूरी प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है. साथ ही 90 दिनों के भीतर सिलेक्टेड कैंडिडेट को नियुक्ति के आदेश भी दिए गए हैं. यह फैसला बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकल बेंच सुनाया है. इस फैसले के साथ ही हाईकोर्ट ने एसआई-प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षा को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
मुख्य परीक्षा से पहले ही लगा दिया गया था आरक्षण
आपको बता दें कि एसआई-प्लाटून कमांडर भर्ती के लिए प्रारंभिक परीक्षा ली गई और मेरिट सूची जारी की गई थी. व्यापम ने मुख्य परीक्षा के पहले ही आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए कैटेगरी वाइज सूची जारी की थी. जिसके कारण जनरल कैटेगरी के बहुत से उम्मीदवारों का नाम सूची में नहीं आ सका. व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से जारी सूची को चुनौती देते हुए जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों ने अपने-अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी. केस में उनकी तरफ से सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी, अभिषेक सिन्हा सहित दूसरे वकील ने पैरवी की.
7 साल से लंबित थी भर्ती
पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर समेत अन्य पदों पर भर्ती के लिए साल 2017 में व्यापम ने प्रक्रिया शुरू की थी, जिसे बाद में सरकार बदलने के बाद निरस्त कर दिया गया. इस वजह से अभ्यर्थियों में आक्रोश भड़क गया और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद राज्य सरकार ने 2021 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की, लेकिन वह भी अब तक पूरी नहीं हो पाई थी. सात साल से भर्ती नहीं होने के कारण अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी रही. लंबे समय से नियुक्ति नहीं हो पाने की वजह से तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को आयु सीमा पार होने की चिंता सता रही थी.
याचिकाकर्ता ने की थी ये मांग
याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि सूची में भर्ती नियमों का पालन नहीं किया गया और नियमों के खिलाफ प्रारंभिक सूची जारी की गई. इस वजह से याचिकाकर्ताओं को मुख्य परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है. याचिका में यह भी बताया गया था कि नियमानुसार प्रारंभिक सूची में खाली पदों के 20 गुना उम्मीदवारों का चयन किया जाना था, लेकिन कैटेगरी वाइस प्रारंभिक सूची बनाई गई है. जिसका खामियाजा जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा और उन्हें मुख्य परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है. नियम विरुद्ध होने के कारण इस सूची को निरस्त कर कर नए सिरे से मेरिट सूची जारी करने की मांग की गई थी.
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