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80 फीट ऊंचे पेड़ पर चढ़कर बैगा आदिवासी ने तीन दिनों तक खूब किया ड्रामा, तंत्र-मंत्र के सामने विफल रही DDRF की टीम!

Baiga Tribal : एक बैगा आदिवासी युवक ने जिस प्रकार से ड्रामा मचवाया उसके बाद से वो लोगों के बीच चर्चा में आ गया. इस दौरान तंत्र-मंत्र का खेल चलता रहा. वहीं, स्थानीय लोगों ने DDRF की टीम पर सवाल खड़े किए.

80 फीट ऊंचे पेड़ पर चढ़कर बैगा आदिवासी ने तीन दिनों तक खूब किया ड्रामा, तंत्र-मंत्र के सामने विफल रही DDRF की टीम!

CG Baiga Tribal :  तीन दिनों तक तंत्र-मंत्र का खेल, ड्रामा चलता रहा. वहीं, DDRF की टीम ने बैगा आदिवासी को नियंत्रण में करने का प्रयास किया पर बेअसर रही. दरअसल ये पूरा मामला है छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले का. यहां प्रेमनगर इलाके में तीन दिन पूर्व ग्रामीण जयराम पण्डो घर में बिना कुछ बताएं कहीं चला गया था. इसके बाद उसके परिजन लगातार उसकी खोजबीन कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने देखा कि गांव के घर से लगे जंगल के एक बड़े पेड़ पर लगभग 80 फीट की ऊंचाई पर ग्रामीण बैठा हुआ है. लगातार उनके द्वारा उसको नीचे उतरने की मिन्नतें की गई. लेकिन वह पेड़ से नीचे उतरने के लिए तैयार नहीं हुआ, जिसके बाद उनके द्वारा जिला प्रशासन तक यह जानकारी पहुंची है.

डीडीआरफ की टीम को बुलाया गया

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जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन के द्वारा डीडीआरफ की टीम को बुलाया गया. ताकि उसे ग्रामीण का रेस्क्यू किया जा सके. गुरुवार को पूरा दिन और आधी रात तक रेस्क्यू टीम लगातार ग्रामीण को नीचे उतरने के लिए कोशिश करती रही. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, जिसके बाद शुक्रवार सुबह लगभग आठ बजे गांव के लोगों के द्वारा जिला प्रशासन की टीम को कुछ भी करने से मना कर दिया गया.

4 घंटे तक 3 बैगा लगातार मंत्र पढ़ते रहे

इसके बाद शुरू हुआ पूजा पाठ का खेल लगभग 4 घंटे तक 3 बैगा लगातार मंत्र पढ़ते रहे और जिला प्रशासन आंखों के सामने यह सब ड्रामा देखती रही. दोपहर लगभग 12:00 बजे आखिरकार ग्रामीण पेड़ से उतरने के लिए तैयार हुआ. पेड़ से उतरने के बाद युवक का मेडिकल कराया गया. इसके बाद युवक पूरी तरह से स्वस्थ बताया जा रहा है.

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 इसको पण्डो जनजाति की धार्मिक मान्यता मान रहे 

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एक स्थानीय बैगा ने कहा- इस पूरी घटना के दौरान जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. वहीं स्थानीय लोग यह मान रहे हैं कि जिला प्रशासन के पास सुविधाओं के अभाव की वजह से वह ग्रामीण का रेस्क्यू नहीं कर पाए, जबकि जिला प्रशासन के अधिकारी इसको पण्डो जनजाति की धार्मिक मान्यता मान रहे हैं.

जहां एक ओर जिला प्रशासन अंधविश्वास को दूर करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर कई योजनाएं चलाते हैं, वहीं सूरजपुर जिला प्रशासन के द्वारा यह घटना अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला है, जो जिला प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है.

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